Prime Chaupal: भारत के विकसित होने का सपना देखना ग्रामीण क्षेत्रों में विकास किए बिना देखना अधूरा है।भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का एक बड़ा योगदान है यही कारण है कि,हिंदुस्तान को कृषि प्रधान देश कहा जाता है।भारत में आज भी कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां बल्ब की रोशनी को देखना वहां लोगों का एक अधूरा सपना मात्र है।
केंद्र और राज्य सरकार लगातार गांवों में विकास कार्य कराए जाने के लिए तमाम तरह की योजनाओं क लागू करती हैं लेकिन इन योजनाओं का कितना लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को मिल रहा है इसकी सच्चाई जानने प्राइम टीवी की टीम प्राइम चौपाल कार्यक्रम के तहत गांव-गांव दस्तक दे रही है।इसी कड़ी में प्राइम टीवी की टीम जब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे मलिहाबाद के ग्राम पंचायत खड़ौहां पहुंची तो सरकारी योजनाओं की सच्चाई देखकर हैरान रह गई।
उत्तर प्रदेश में बदहाल स्थिति में गांव

केंद्र और राज्य सरकारें ग्राम पंचायतों के विकास के लिए हर साल करोड़ों रुपये आवंटित करती है लेकिन गांव तक पहुंचते-पहुंचते वो पैसा आखिर कहां चला जाता है इस पर कोई जिम्मेदार कुछ भी बोलने को तैयार नहीं।प्राइम टीवी ने गांवों की तस्वीर बदलने का यह जिम्मा अपने सिर उठाया है जिसके चलते हमारी टीम गांवों की जमीनी हकीकत को खंगालने में लगी है।
अपनी बदहाली पर आंसू बहाते प्रदेश के गांव

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकसित प्रदेश की कल्पना की है जिसके तहत सीएम योगी का सपना है प्रदेश में हर गरीब के सिर पर छत हो।ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली से लेकर स्वच्छ जल की व्यवस्था हो सड़कें सुसज्जित एवं आसान हों इंटरनेट की पहुंच हो बच्चों की पढ़ाई के लिए सुविधाओं से पूर्ण स्कूल हों लेकिन उनके ये सारे सपने भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते हुए अधूरे रहते दिखाई दे रहे हैं।गांव की ये तस्वीर यूपी में कोई एक-आध गांव की नहीं है बल्कि हर गांव से अपनी दुर्दशा के लिए रोती ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं।
गांव में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी सरकारी योजनाएं

गांव में टूटे-फूटे घर में रहने को मजबूर लोग आज भी विकास की राह देख रहे हैं।तस्वीरों को देख कर तो आप भी सोच रहे होंगे कि,ये राजधानी लखनऊ से सटे गांव की तस्वीर बिल्कुल नहीं हो सकती लेकिन यकीन मानिए मिट्टी के घरौंदों में रहने वाले ये लोग राजधानी लखनऊ से ताल्लुक रखते हैं।मलिहाबाद ब्लॉक के गांव खड़ौहां के प्रधान ने लोगों के अरमानों पर पानी तो फेरा ही है साथ ही उन नौनिहालों के भविष्य के साथ भी मजाक किया है जो विकसित भारत का आधार बनेंगे।तस्वीर गांव के अंदर बने प्राथमिक विद्यालय की है यहां ना ढंग के शौचालय हैं ना ही बच्चों के पीने के पानी की व्यवस्था।ये तस्वीरें चीख-चीखकर काठ की हांडी पर पके भ्रष्टाचार की दास्तान को बयां कर रही हैं।
फिलहाल अब देखना होगा कि,प्रदेश में गांवों की ऐसी हालत पर अधिकारियों की कुंभकरणीय कब नींद टूटती है।एसी कमरों में बैठे अधिकारियों को मिट्टी के घरों में अपनी जिंदगी को झुलसा रहे लोगों की आह कब सुनाई देगी ये देखना होगा।