Gaurav Bhatia Case: भाजपा प्रवक्ता और वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया गौतमबुद्ध नगर जिला अदालत में हुई झड़प का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक्शन लेना शुरु कर दिया है. आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए जनपद दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव को नोटिस जारी किया है. बता दे कि SC ने नोटिस जारी कर इसे गंभीर मामला बताया है.
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क्या था पूरा मामला?
बताते चले कि बीते दिन ग्रेटर नोएडा स्थित सूजरपुर जिला न्यायालय में भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया के साथ कोर्ट के अंदर मौजूद वकीलों की काफी नोकझोंक हो गई थी. जिसके बाद बुधवार दिन में सूरजपुर स्थित जिला न्यायालय में एक मुकदमे की सुनवाई के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के वकील गौरव भाटिया पहुंचे थे. बता दें कि कोर्ट के स्थानीय अधिवक्ता यहां कई मुद्दों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. इसी बीच गौरव भाटिया अपने केस की सुनवाई के लिए जिद करने लगे. देखते ही देखते यह बातचीत कहासुनी में बदल गई और दोनों पक्ष एक-दूसरे के साथ नोकझोंक पर उतारू हो गए. यह मामला सूरजपुर कोतवाली क्षेत्र का है.
वकील विकास सिंह ने मामले का किया उल्लेख
आपको बता दे कि वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष पूरे मामले का उल्लेख किया. इसके बाद प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने घटना पर स्वत: संज्ञान याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया. दरअसल, घटना बुधवार को जिला अदालत में हुई जहां वकील हड़ताल पर थे.
वकील विकास सिंह ने ,सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच को बताया कि वकीलों ने कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया और भाटिया का ‘कॉलर बैंड’ छीन लिया. एक महिला वकील भी पीठ के समक्ष पेश हुईं और दावा किया कि एक मामले में पेश होने के दौरान एक अलग अदालत में उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया गया था. पीठ ने कहा, ‘ऐसा कोई कारण नहीं है कि यह न्यायालय रिकॉर्ड पर रखी गई बात को स्वीकार न करे. आमतौर पर, हम याचिका पर जोर देते हैं. लेकिन उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के दो सदस्यों पर हमला गंभीर है. हम रजिस्ट्रार को स्वत: संज्ञान रिट याचिका दर्ज करने का निर्देश देते हैं.’
घटना का सीसीटीवी फुटेज अगले आदेश तक सुरक्षित रहे
इस मामले पर शीर्ष अदालत ने जिला न्यायाधीश, गौतमबुद्धनगर को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि घटना का सीसीटीवी फुटेज अगले आदेश तक सुरक्षित रहे और घटना पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए. आगे पीठ ने कहा कि बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों. शीर्ष अदालत ने कहा कि बार के सदस्यों की हड़ताल से उन वादियों पर असर पड़ता है जो न्याय प्रणाली में अहम हितधारक हैं.
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