Supreme Court News:सरकार से सब्सिडी पर जमीन हासिल करके निजी अस्पताल बनाने वाले मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार पर तीखी टिप्पणी की है.सुप्रीम कोर्ट ने आज नेत्र रोगों के इलाज के लिए पूरे देश में एक समान दर तय किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा,ये अस्पताल सब्सिडी पर जमीन लेकर इमारत बना लेते हैं लेकिन फिर गरीब तबके के लिए बेड रिजर्व करने के वादे पर अमल नहीं करते।
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मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस प्रसन्ना बी.वाराले की बेंच ने कहा,इन सभी निजी अस्पतालों को जब सब्सिडी पर जमीन लेनी होती है तो कहते हैं कि,हम कम से कम 25 फीसदी बेड गरीबों के लिए रिजर्व रखेंगे लेकिन ऐसा कभी होता नहीं…ऐसा हमने कई बार देखा है।
क्या है मामला?
दरअसल, सरकार ने नेत्र रोगों के इलाज के लिए देश भर में एक समान दर तय करने का फैसला किया है.जिसके बाद इसके विरोध में ऑल इंडिया ऑप्थैलमोलॉजिकल सोसायटी की ओर से अदालत में याचिका दायर की गई है.जिसमें कहा गया है कि,स्पेशलिस्ट्स के रेट एक समान नहीं हो सकते.मेट्रो सिटीज और ग्रामीण क्षेत्रों में एक ही रेट नहीं हो सकता है.वहीं,सोसायटी का पक्ष रखते हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और एडवोकेट बी. विजयलक्ष्मी ने कहा…सरकार का ये फैसला ठीक नहीं है फीस में हर जगह एकरूपता ठीक नहीं है।
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केंद्र सरकार को भेजा नोटिस
इस मामले में केंद्र सरकार की राय जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई को 17 अप्रैल तक के लिए टाल दिया है.इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस धूलिया ने कहा,आखिर आप कैसे इस पॉलिसी को चैलेंज कर सकते हैं.उदाहरण के तौर पर पूर्वोत्तर में स्वास्थ्य सेवाओं की दरें कम हैं और अगर इस नियम को खत्म किया गया तो फिर इस पर असर होगा।