Sambhal Violence: कई दिनों से उत्तर प्रदेश का एक जिला उपद्रवियों की आग से झुलस रहा है। वह कोई और नहीं बल्कि संभल है। संभल जामा मस्जिद सर्वे को लेकर वहां हिंसा की आग भड़क उठी है। धीरे-धीरे इस मामले में कई गुथियां सुलझ रही है। कई नामी चेहरे इस मामले में सामने आये है। जिसमें से सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क (Ziaur Rahman Burke) और सपा विधायक के बेटे सुहैल इकबाल (suhail iqbal) का नाम जग जाहिर हो चुका है। बीते दिनों उपद्रवियों की हिम्मत इतनी बढ़ गयी कि उन्होंने पुलिस को भी अपनी हिंसा का शिकार बनाने का प्रयास किया।
संभल की जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुई हिंसा का मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक पहुंच गया है। जमीयत उलेमा ए हिंद ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर करते हुए प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 का हवाला दिया है। याचिका में सवाल उठाया गया है कि जब यह कानून धार्मिक स्थलों के स्वरूप को 1947 की स्थिति में बनाए रखने की बात करता है, तो अदालतें सर्वेक्षण का आदेश कैसे दे सकती हैं? जमीयत ने अपनी याचिका में मांग की है कि इस कानून को सख्ती से लागू किया जाए। संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को पत्र भेजकर इस मामले की जल्द सुनवाई की अपील भी की है। फिलहाल, यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
इंटरनेट सेवाएं हुई बंद
जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हिंसा के बाद संभल में प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी थी। जिला सूचना अधिकारी बृजेश कुमार ने बताया कि आज शाम चार बजे तक इंटरनेट सेवाएं बंद रहेंगी। प्रशासन ने इलाके में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की है। हालांकि, हालात अब धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। स्कूल-कॉलेज और आवश्यक सेवाओं की दुकानें फिर से खोल दी गई हैं। लेकिन बाहरी लोगों के प्रवेश पर 30 नवंबर तक रोक जारी रहेगी।
हिंसा के पीछे साजिश की जांच में जुटी पुलिस
24 नवंबर को जामा मस्जिद में सर्वे करने पहुंचे अधिकारियों के दौरान हिंसा भड़क गई थी। पत्थरबाजी और लाठीचार्ज के बाद हालात तनावपूर्ण हो गए थे। पुलिस ने इस हिंसा में आठ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर में समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद और विधायक के बेटे पर भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया गया है। पुलिस ने हिंसा में शामिल 100 से ज्यादा लोगों की पहचान कर ली है और जल्द ही उनकी तस्वीरें सार्वजनिक करने की योजना बना रही है। प्रशासन इन आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
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जामा मस्जिद का सर्वे क्यों बना विवाद का कारण?
24 नवंबर को जामा मस्जिद में दूसरी बार सर्वे के लिए गए अधिकारियों के आने से ही विवाद ने तूल पकड़ा। इसके बाद मस्जिद के बाहर भारी संख्या में लोगों की भीड़ जुट गई, जिसने देखते ही देखते उग्र रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में कई लोग घायल हुए। प्रशासन का दावा है कि समाजवादी पार्टी के नेताओं की भूमिका इस हिंसा में संदिग्ध है। सपा सांसद और विधायक के बेटे पर प्रदर्शनकारियों को भड़काने के आरोप लगे हैं। इस हिंसा की वजह से स्थानीय लोगों को रोजमर्रा की गतिविधियों में परेशानी हो रही है। प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती माहौल को शांत करना बन गया है। ऐसे में स्थिति सामान्य करने के लिए प्रशासन पूरी ताकत झोंक रहा है, लेकिन यह मामला धार्मिक और राजनीतिक विवादों के चलते बढ़ता जा रहा है।