Muskan
दिल्ली: कानून तो तमाम बने पर क्या महिलाओं को मिल पाया उनका अधिकार. कुछ बच्चे स्कूलों में पढ़ते है, तो कुछ दूसरी तरफ सड़कों पर घूमकर करते है बाल मजदूरी का काम ज़मीनी विवादों के बंटवारें में फंसकर रह जाती है आम लोगों की जिंदगी तलाकों के कानूनों में उलझकर बिखर सी जाती है महिलाओं के साथ खिलखलाती बच्चों की कहानियां. इन सब तस्वीरों और नज़ारों को देखकर क्यों ना कहा जाए हां हमारे देश को ज़रुरत है एक देश और एक कानून की जहां ना हो अधिकारों का हनन जहां सबके हक की बात हो एक समान, क्या हिंदू क्या मुस्लमान… क्या जाति और क्या धर्म हर तरफ हो एक अधिकार के साथ देश में अमन.
भाजपा जनता पार्टी के घोषणापत्र में 1998 से एक मुल्क,एक कानून का मुद्दा रहा है. जिसके लिए कोशिश भी तमाम की गई. नवंबर 2019 में नारायण लाल पंचारिया ने इसे पेश करने के लिए संसद में विधेयक पेश किया था लेकिन, विपक्ष के विरोध के कारण इसे वापस ले लिया गया था. किरोड़ी लाल मीणा मार्च 2020 में फिर बिल लेकर आए। लेकिन, इसे संसद में पेश नहीं किया गया विवाह, तलाक, गोद लेने और उत्तराधिकार से संबंधित कानूनों में समानता की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी याचिकाएं दायर की गई हैं. 2018 के परामर्श पत्र ने स्वीकार किया था कि भारत में विभिन्न परिवार कानून व्यवस्थाओं के भीतर कुछ प्रथाएं महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करती हैं, उन्हें देखने की जरूरत है.
तो वहीं जब से लोगों की UCC पर राय मांगी गई है, धर्म गुरुओं के साथ ही नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी है. इसी बीच सपा सांसद एसटी हसन ने भी एक देश, एक कानून को लेकर भाजपा को घेरा है. समान नागरिक संहिता कानून को एसटी हसन ने चुनावी हथकंडा बताते हुए कहा कि बीजेपी कोई भी कानून बना ले, हम उसे नहीं मानेंगे. हम शरीयत के कानून को ही मानेंगे.
सपा सांसद ने कहा कि समान नागरिक संहिता कानून बीजेपी का चुनावी एजेंडा है. यह मुसलमानों को परेशान करना चाहते हैं और हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत पैदा करना चाहते हैं. हम शरीयत कानून को मानते हैं और उसी को मानेंगे. हम कुरान के हुक्म को नहीं छोड़ सकते, यह कितना ही कानून बना ले, हम अपने बच्चों को वसीयत कर देंगे, इनका कानून एक तरफ धरा का धरा ही रह जाएगा.
‘कोई कितनी ही शादियां करे आपको क्या परेशानी’
एसटी हसन ने आगे कहा कि तीन तलाक, बहु विवाह पर इन्हें क्या तकलीफ है? जब आपने लिविंग रिलेशन को कानूनी कर दिया तो अब कोई कितनी ही शादियां करे आपको क्या परेशानी है. सीएए, तीन तलाक, कश्मीर से धारा 370 के हटने से हमारे हिंदू भाइयों को क्या मिल गया, उनका क्या फायदा हुआ, क्या उन्हें नौकरियां मिल गईं क्या उन्हें कारोबार मिल गया? कुछ नहीं मिला, ये सब इनका चुनावी हथकंडा है.