Sudan Violence: अफ्रीकी देश सूडान में अर्धसैनिक बल द्वारा किए गए हमले में 32 नागरिकों की मौत हो गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) ने शुक्रवार को दाफपुर राज्य की राजधानी एल-फशर पर हमला किया। यहां RSF ने एक शिविर पर हमला कर 32 लोगों को मौत के घाट उतार डाला। इस हमले में 17 लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं। मरने वालों में चार महिलाएं और 10 बच्चे भी शामिल हैं।
सूडानी सशस्त्र बलों की 6वीं इन्फैंट्री डिविजन की कमान ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि “मिलिशिया ने आज एल-फशर पर कई आत्मघाती ड्रोन दागे, साथ ही शहर पर गोलीबारी भी की।” बता दें कि इससे पहले भी रैपिड सपोर्ट फोर्स के लड़ाकों ने एल-फशर में शिविर पर हमला किया था, जिसमें महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों समेत 25 लोगों की मौत हो गई थी।
सूडान में चारों ओर मचा त्राहिमाम
पिछले दो सालों से सूडान हिंसा की आग में सुलग रहा है। सूडान दुनिया की सबसे भुखमरी और अकाल झेल रहा है। यहां खूनी संघर्ष में लगभग 30 हजार लोग मारे जा चुके हैं। हिंसक टकराव के कारण सूडान के लाखों लोग बेघर हो गए हैं। देश के लोग दाने-दाने को तरस रहे हैं। नागरिकों के साथ बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं।
यूएन कार्यालय के एक बयान में कहा गया है कि सूडान के लोग गंभीर मानवीय संकट में फंसे हुए हैं। वहां के हर तीन नागरिकों में से दो को मदद की सख्त जरूरत है, यानी सूडान के तीन करोड़ लोगों को मदद की सख्त जरूरत है।
सूडान में क्यों छिड़ा गृह युद्ध?
सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच वर्चस्व की लड़ाई है। अप्रैल 2019 में सेना ने उस समय के राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर को सत्ता से हटाकर तख्तापलट कर दिया था।
इसके बाद सूडान में जॉइंट सरकार का गठन हुआ, जिसमें नागरिकों और सेना दोनों का रोल था। 2021 में दोबारा तख्तापलट हो गया है। इस बार सूडान में मिलिट्री रूल शुरू हो गया।
आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान सूडान के राष्ट्रपति और आरएसएफ के लीडर मोहम्मद हमदान डागालो उपराष्ट्रपति बन गए। इसके बाद से ही सूडान में आर्मी और आरएसएफ के बीच संघर्ष जारी है।
दोनों के बीच ये लड़ाई सिविलियन रूल लागू करने को लेकर चल रही है। आरएसएफ सिविलियन रूल को 10 साल बाद लागू करना चाहता है जबकि आर्मी का कहना है कि अगले 2 साल में ही सिविलियन रूल लागू होना चाहिए।
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