वैसे तो आपने मोहब्बत की कई दस्ताए सुनी होगी, बता दे की मोहब्बत को लेकर एक ऐसा ही मामला up के फतेह पुर से सामने आया है। जहां एक दिवयग्त पति ने अपनी अपने पत्नी की याद में मंदिर का निर्माण कर मह्बत की याद को ताजा कर दिया, बता दें कि अब मन्दिर में सुबह शाम पूजा पाठ होती है।
मामला बिंदकी तहसील में बकेवर थाना क्षेत्र के पधारा गांव का हैं । जहां का निवासी रामसेवक रैदास की पत्नी का निधन कोरोना काल में हो गया था। बता दे की पत्नी की याद को संजोए रखने के लिए पति राम सेवक ने खेत में मंदिर का निर्माण कर मोहब्बत की एक नई मिसाल को कायम कर दी , वहीं गांव वाले पति-पत्नी की इस मोहब्बत की मिशाल देते हुए उस मंदिर की पूजा पाठ करते है ।वही उनका कहना है कि 18 मई 2020 को पत्नी के निधन से गम में पति गुमसुम रहने लगे थे।
मंदिर बनाने के फैसले का ग्रामीणों ने उड़ाया था मजाक
वाही रामसेवक रैदास अमीन के पद से रिटायर्ड हैं। बता दे की उनकी शादी 18 मई 1977 को हुई थी। वह अपनी पत्नि को इतनी महोब्बत करते थे की जहा लोग अपनी जन्म तिथी याद नहीं रख पाते है , वही राम सेवक को अपनी पत्नी की जन्म तिथि भी याद है। उन्होंने बताया कि पत्नी का जन्म 18 मई 1961 को हुआ था। बता दे की कोरोना के चलते राम सेवक ने अपनी पत्नी को 18 मई 2020 को खो दिया। रामसेवक के 5 बच्चों में 3 लड़के और 2 बेटियां हैं। उन्होंने ने बताया कि मोहब्बत की निशानी मंदिर में पूजा करने से पत्नी के होने का आभास होता है। इसलिए वो रोजाना आपने पत्नी के मंदिर में पूजा पाठ करने पहुंचते हैं। बता दे की शुरुआत में मंदिर बनाने के फैसले का ग्रामीणों ने बहुत मजाक उड़ाया था।
रामसेवक लोगों के लिए बने प्रेरणा
राम सेवक के पत्नि के लिए इतनी मुहब्बत देख साथ ही उसके इस मजबूत फैसले को देख गांव वालों ने उसके भावनाओं का सम्मान किया। बता दे की पति राम सेवक ने गांव के लोगों के उलाहने की परवाह को दरकिनार करते हुए मंदिर में पत्नी की मूर्ति स्थापित करा दी।जहां गांव के लोगों के बीच पत्नी का मंदिर चर्चा का विषय बना हुआ है।बता दे की जहां आज के युग में शादी के कुछ महीनों बाद तू- तू मैं- मैं कर अपने पत्नी से अलग हो जाते है , वही पति रामसेवक ने आपने पत्नी की मोहब्बत की मिसाल पेश की है। रामसेवक की भावनाओं को समझने के बाद गांववाले भी काफी खुश हैं, साथ ही अब युवा पीढ़ी को गांवाले रामसेवक जैसा बनने की शिक्षा दे रहे हैं। दांपत्य जीवन में गीले-शिकवे दूर कर जनम जनम का साथ निभानेवाले रामसेवक लोगों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।