Ayodhya: पूरे देश में इस समय बस हर तरफ अयोध्या की ही चर्चा हो रही है। 500 सालों के लंबे इंतजार के बाद श्री राम को भव्य मंदिर में विराजमान किया जाएगा। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा का समारोह रखा गया है, जिसके लिए बहुत ही जोर शोर से तैयारियां चल रही है। इस खास अवसर पर पीएम मोदी मुख्य यजमान होंगे, विदेशों से भी खास मेहमानों को बुलाया गया है, जो इस भव्य समारोह का हिस्सा होंगे।
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मंदिर की विशेषताएं..
देश में इस समय पूरा राममय माहौल है, हर तरफ रामभक्तों की गूंज सुनाई दे रही है। यूपी के अयोध्या में बने रहे राम मंदिर के उद्घाटन में अब बस कुछ ही दिन शेष है, मंदिर को फाइनल टच दिया जाना बाकी है। लेकिन क्या आपको ये पता है कि इस भव्य मंदिर की विशेषताएं क्या है, अगर नहीं तो आज हम आपको इस मंदिर की विशेषताएं के बारें में बताएंगे।
परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा मंदिर
यूपी के अयोध्या में हन रहे भव्य राम मंदिर को परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फुट, चौड़ाई 250 फुट और ऊंचाई 161 फुट है, वहीं 3 मंजिला मंदिर में प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फुट जहां कुल 392 खंभे और 44 द्वार बनाये गए है। राम मंदिर के मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह) और प्रथम तल पर श्रीराम दरबार बनाया गया है। मंदिर में पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से प्रवेश किया जा सकेगा।
मंदिर में बनाये गए 5 मंडप ..
भव्य राम मंदिर के 70 एकड़ क्षेत्र में से 70 प्रतिशत क्षेत्र हमेशा हरा-भरा रहेगा। सबसे खास बात यह है कि मंदिर में लोहे का उपयोग नहीं किया गया है और न ही धरती के ऊपर कंक्रीट बिछाई गयी है। मंदिर में 5 मंडप बनाये गए है। नृत्य मंडप,रंग मंडप,सभा मंडप,प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप। मंदिर के खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी गयी है जो मंदिर की खूबसूरती को और बढ़ा देती है. दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था की गयी है।
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चारों ओर आयताकार परकोटा..
मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट है। परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण किया जा रहा है। वहीं उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा। मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा। मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे।
मंदिर को धरती की नमी से बचाने लिए किया ये खास काम
दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है और वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है। मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है। मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।
दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का किया जा रहा निर्माण
देश के इस भव्य मंदिर में दर्शन के लिए हर रोज दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ेगी, जिसको देखते हुए 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी। मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी। मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
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