Special day : वैसे तो देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था , पर भारत और पाकिस्तान के बंटवारे की तैयारी आजादी से पहले ही शुरू हो गई थी। बता दे कि 3 अगस्त 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने आजादी की योजना पेश करते हुए साफतौर पर कहा था कि भारत आजाद होकर दो हिस्सों में बंट जाएगा।वहीं लॉर्ड माउंटबेटन की इस योजना को जवाहर लाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना भी मान लिए थे, लेकिन बंटवारे को इस अंजाम तक पहुंचाना आसान नहीं था।
बंटवारा धर्म के आधार पर ही तय होगा
वहीं भारत की आबादी को देखते हुए ये तय करना बहुत मुश्किल था कि भारत का कौन सा हिस्सा हिन्दुस्तान में रखा जाए और कौन सा हिस्सा पाकिस्तान को दिया जाए। वहीं बहुत सोच समझ और विचार करने के बाद तय हुआ कि बंटवारा धर्म के आधार पर ही तय होगा। बता दे कि यह भी करना आसान नहीं था क्योंकि कई इलाके ऐसे थे जहां हिन्दू-मुस्लिम की आबादी लगभगर बराबर ही थी। वहीं इस बंटवारे की जिम्मेदारी ब्रिटिश सरकार ने सिरिल रेडक्लिफ को सौंपी था। वहीं सबसे दिलचस्प बात यह थी कि सिरिल रेडक्लिफ पहले न तो कभी भारत आए थे और न ही वो भारत की विविधताभरी आबादी से वाकिफ थे।
कौन थे सिरिल रेडक्लिफ
सर सिरिल रेडक्लिफ ब्रिटेन के वेल्स में रहने वाले एक सेना के कप्तान के बेटे थे। सिरिल रेडक्लिफ की शिक्षा ब्रिटेन के हेली बेरी कॉलेज में हुई थी,और वो ऑक्सफोर्ड में पढ़कर एक वकील के रूप में प्रसिद्ध हुए थे। बता दे की द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वे सूचना मंत्रालय में आए और 1941 में उसके डायरेक्टर जनरल बन गए और 1945 में बार में वापस लौट गए थे।
रेडक्लिफ की ड्यूटी थी
सिरिल रेडक्लिफ पहले अपने जीवन में कभी पेरिस से पूर्व तक नहीं गए थे और इन्हें इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट के पास होने के बाद दो सीमा समितियों का चेयरमैन बनाया गया था। वहीं रेडक्लिफ की ड्यूटी थी कि वे दो देश भारत और पाकिस्तान की सीमा रेखा इस तरह से खींचें कि भारत के हिस्से में अधिकांश सिख और हिंदू आएं और पाकिस्तान के हिस्से में अधिकांश मुस्लिम इलाके के लोग आए।
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इस तरहा हुआ बंटवारा
सिरिल रेडक्लिफ अपने एक इंटरव्यू में बताया कि बंटवारे की तैयारी के दौरान उन्होंने लाहौर को भारत के हिस्से में ला चुके थे, लेकिन तैयारी को अंतिम रूप देते समय यह देखा गया कि पाकिस्तान के हिस्से में कोई बड़ा शहर नहीं था, इसलिए लाहौर को पाकिस्तान में रखने का फैसला किया गया था। सीमा तय होने के बाद पलायन शुरू हुआ था। वहीं लोग भारत से पाकिस्तान और पाकिस्तान से भारत गए, विभाजन के बाद रेडक्लिफ ब्रिटेन लौटे और फिर कभी भारत नहीं आए।