हमीरपुर संवाददाता- ब्रजेश ओझा
हमीरपुर: उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ योगी सरकार का एक्शन लगातार जारी हैं। यहां कभी किसी अपराधी के घर बुल्डोजर चलाया जाता है तो कभी पुलिस एनकाउंटर में उसे ढेर किया जाता है। या यूं कहे कि योगी सरकार के सख्त एक्शन के चलते अपराधी या तो अपराध करना छोड देता है या फिर वह यूपी छोडकर अपनी जान बचाता घूमता है। इसी क्रम में आज हमीरपुर जिले की पुलिस ने जिले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए 3 अपराधियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत सम्पत्ति कुर्क की कार्रवाई की है। जिसमें अपराध से अर्जित की गई लगभग 1 अरब 43 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति सीज की गई है। बताया जा रहा है कि इन तीनों अपराधियों के खिलाफ दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं। जिनमें मादक पदार्थों की तस्करी से लेकर बलपूर्वक गरीबों की जमीनों पर कब्जा करना शामिल है।
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नोटिस चस्पा करने की कार्यवाही
मामला हमीरपुर जिले के मौदहा कस्बे का है। यहां के रहने वाले केशव बाबू शिवहरे उनके बेटे दीपक शिवहरे व भाई विष्णु शिवहरे के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हुई है। आपको बता दें कि जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर इनकी बेनामी संपत्ति जो अपराध से अर्जित की गई थी उसको कुर्क किया गया है। इसकी सरकारी लागत लगभग 1 अरब 43 करोड़ से अधिक बताई गई है। जिसमें 5 स्टोन क्रेशर प्लांट, 42 गाड़ियां, 3 कॉलेज, बैंक खातों में जमा धन,हमीरपुर जिले के मौदहा कस्बे में बने 5 भवन,बांदा जिले के 4 भवन,लखनऊ में बनाया गया 1 भवन,सहित 350 बीघा जमीन शामिल हैं। आज पुलिस ने सूचना को सार्वजनिक करते हुए सीज की गई संपत्ति के बाहर नोटिस चस्पा करने की कार्यवाही की है।
गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही
आपको बता दें कि केशव बाबू शिवहरे उसके भाई विष्णु शिवहरे व बेटे दीपक शिवहरे पर स्थानीय पुलिस ने बीते सितंबर माह में एक जमीन के फर्जी बैनामा कराए जाने के मामले में दोषी पाए जाने पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही करते हुए इन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा था और अब इनकी बेनामी सम्पत्ति को जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर कुर्क किया गया है। पुलिस ने जानकारी दी कि केशव बाबू पर अलग अलग थानों पर 22 मुकदमे दर्ज हैं। इसके भाई विष्णु शिवहरे पर 9 व बेटे दीपक पर 1 दर्जन मुकदमें दर्ज हैं। नशीले पदार्थों की तस्करी व दबंगई के बल पर अवैध तरीके से गरीबों की जमीनें हथियाना जिनमें शामिल है।
शुरुआती दौर से ही एक बडे व्यवसायी
गौरतलब हो कि केशव बाबू शिवहरे शुरुआती दौर से ही एक बडे व्यवसायी थे। व्यवसाय के साथ साथ यह राजनीति में भी अपनी रुचि रखते थे। इनकी राजनीति में सक्रियता वर्ष 2004-05 के दौर से शुरू हुई थी। सबसे पहले अपने भाई विष्णु शिवहरे की पत्नी मधु शिवहरे को सिसोलर क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जिताया था बाद में सपा के टिकट से जिला पंचायत अध्यक्ष का पद हासिल किया था और फिर वर्ष 2012 के आम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से सदर विधानसभा का केशव खुद चुनाव लडा था जिसमें हार का सामना करना पडा था। इसके बाद वर्ष 2014 के उपचुनाव में भी कांग्रेस के टिकट से दुबारा किस्मत आजमाई थी लेकिन अफसोस की इन्हें दोनो बार हार का ही सामना करना पडा और फिर समय समय पर कभी सपा तो कभी कांग्रेस का दामन थामते चले आए। अभी बीते साल ही इन्होंने एक बार फिर कांग्रेस का दामन छोडकर सपा का दामन थामा था। जिसके बाद पार्टी ने इन्हे व्यापार सभा का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया था।
तस्करी का काम करता
यहां के रह वासी बतातें हैं कि केशव बाबू शिवहरे शुरुआत से ही मादक पदार्थों की तस्करी का काम करता था। साथ ही मौरंग खनन करने के लिए बलपूर्वक गरीबों की बेशकीमती जमीनों को हडपने का काम करता था। इसके खिलाफ वर्ष 1983 में पहला मुकदमा मौदहा कोतवाली में आबकारी अधिनियम के तहत दर्ज हुआ था।
जमीनें हथियाना शुरू किया
धीरे धीरे इसके अवैध कारोबारों में इसका भाई विष्णु शिवहरे व बेटा दीपक शिवहरे भी सहयोग करने लगे थे और फिर ये सभी अपने काले कारोबारों को एक साथ मिलकर करने लगे थे। इन सभी ने मिलकर गरीबों की बलपूर्वक जमीनें हथियाना शुरू किया। महोबा में 1 नही बल्कि 5 स्टोन क्रेशर बनाई। बडी संख्या में वाहन बनाए। इंटर कालेज से लेकर डिग्री कालेज तक बना डाले। अवैध धंधों से अरबों खरबों की सम्पत्ति इकट्ठा कर डाली और अब ये सभी जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए और बेईमानी से कमाई गई वही सम्पत्ति कुर्क होने की कगार तक पहुंच गई।
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परिवार का इलाके में दबदबा
यहां के लोग यह भी बताते है कि एक जमाना था जब इस परिवार का इलाके में दबदबा हुआ करता था। क्षेत्र में इनके नाम का सिक्का बोलता था। लोगों को डराना धमकाना इनका पेशा बन गया था। अवैध तरीके से कमाए गए धन से यह सभी ऐसोआराम की जिंदगी जिया करते थे। योगी सरकार की अब तक की सबसे बडी कार्यवाही जिले के लोगों को अब देखने को मिली है।