Pradosh Vrat 2025: सनातन धर्म में व्रत त्योहारों की कमी नहीं है लेकिन प्रदोष व्रत को खास माना गया है। जो कि हर माह में दो बार आता है। यह तिथि भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होती है। इस दिन भक्त भोलेनाथ की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं। माना जाता है कि प्रदोष के दिन शिव साधना करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और कष्टों का निवारण हो जाता है।
शिव पुराण में इस व्रत की महिमा का जिक्र किया गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत उपवास करने से करियर कारोबार में मनचाही तरक्की मिलती है। साथ ही बाधाएं भी दूर हो जाती हैं। पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। ऐसे में हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि चैत्र माह का प्रदोष व्रत कब किया जाएगा। तो आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की तारीख और मुहूर्त।
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कब करें गुरु प्रदोष व्रत
इस बार त्रयोदशी तिथि का आरंभ 9 अप्रैल की रात 10 बजकर 55 मिनट से हो रहा है और इस तिथि का समापन 11 अप्रैल की रात 1 बजे हो जाएगा। लेकिन इस व्रत का निर्धारण उदया तिथि के अनुसार होगा। इसलिए यह पुण्य व्रत 10 अप्रैल को ही रखा जाएगा। यानी इस बार प्रदोष व्रत 10 अप्रैल को ही किया जाएगा। इस दिन गुरुवार पड़ने के कारण ही इसे गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा है।
शिव पूजा का शुभ समय
गुरु प्रदोष के दिन जो भक्त भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करते हैं उन्हें विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस बार प्रदोष काल शाम को 6 बजकर 44 मिनट से रात 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में शिव साधना करने से भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपनी कृपा भक्तों पर करते हैं।
पूजा की सरल विधि
आपको बता दें कि गुरु प्रदोष के दिन शिवलिंग पर जल, दूध या पंचामृत चढ़ाएं। इसके बाद बेलपत्र, धतूरा और सफेद पुष्प अर्पित करें। साथ ही प्रदोष व्रत कथा का पाठ जरूर करें। माना जाता है कि इस तरह व्रत पूजा करने से हर तरह की बाधा दूर हो जाती है साथ ही संकट से भी रक्षा होती है।