Pm Modi: देश में पाकिस्तान और चीन को लेकर हमेशा विवाद बना रहता हैं। चीन और भारत के बीच का विवाद आज से नही बल्कि 1962 से ही सीमा विवाद को लेकर शुरू हुआ था। आज तक सीमा विवाद थमने का नाम नही ले रहा बल्कि बढ़ता ही जा रहा हैं। आपको बता दें कि ये विवाद जमीनी विवाद नही बल्कि फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट का हैं। वही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चीन को लेकर फिर से केंद्र सरकार को चेतावनी दी हैं। श्रीनगर में ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के समापन के मौके पर राहुल गांधी ने दावा किया कि लद्दाख में भारत का लगभग 2000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र चीनी कब्जे में चला गया हैं।
एस जयशंकर ने दिया बड़ा बयान
आपको बता दे कि एस जयशंकर ने कहा “चीन के साथ सीमा गतिरोध भारतीय क्षेत्र पर अतिक्रमण को लेकर था ही नहीं। मुद्दा वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर हैं। सैनिक आमतौर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर नहीं होते हैं। वहीं एलएसी की पेट्रोलिंग भी होती हैं। हमारी फौज पेट्रोलिंग बेस से निकलकर पेट्रोलिंग कर वापस पेट्रोलिंग बेस आ जाती हैं।
वहीं उन्होंने एलएएसी के मुद्दे को लेकर कहा कि 1993 और 1996 समझौता का उल्लंघन कर एलएएसी के पास बहुत बड़ी मात्रा में फौज लेकर आ गए। ऐसे में पेट्रोलिंग कर वापस आने के बजाय हमें फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट करना पड़ा। अभी समस्या क्या हैं? फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट की ही समस्या हैं। हम दोनों फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट हैं। इसी से टेंशन पैदा होती हैं। यही वह मामला हैं जिसे दोनों देशों को सुलझाना हैं।”
PM मोदी ने दिया बयान
वहीं एस. जयशंकर ने एक बयान दिया था, जो कि PM मोदी के उस बयान से मेल खाता हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन ने भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा नहीं किया।
आपको बता दे कि जून 2020 में चीन के मसले पर एक सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राजनीतिक दलों को भरोसा दिलाया था कि हमारी सेना सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम हैं।
उन्होंने कहा, “न वहां कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ हैं, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में हैं। इसी बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, कहीं कोई इंटेलिजेंस नाकाम नहीं हुआ।
लेकिन उनके इस बयान को लेकर विपक्ष हमलावर हो गया था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि चीन के आक्रमण के आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय ज़मीन सौंप चुके हैं।
राहुल गांधी ने पूछा था, अगर यह ज़मीन चीन की थी, तो हमारे सैनिक क्यों मारे गए? और अगर मारे गए तो, कहां मारे गए?
पूर्व में तवांग पर अवैध कब्ज़ा
चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किए। चीनी सेना दोनों मोर्चे में भारतीय बलों पर उन्नत साबित हुई और पश्चिमी क्षेत्र में चुशूल में रेजांग-ला एवं पूर्व में तवांग पर अवैध कब्ज़ा कर लिया। चीन ने 20 नवम्बर 1962 को युद्ध विराम की घोषणा कर दी और साथ ही विवादित दो क्षेत्रों में से एक से अपनी वापसी की घोषणा भी की। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान, अरुणाचल प्रदेश के आधे से भी ज़्यादा हिस्से पर चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने अस्थायी रूप से कब्जा कर लिया था उस वक़्त।[10] फिर चीन ने एकतरफ़ा युद्ध विराम घोषित कर दिया और उसकी सेना मैकमहोन रेखा के पीछे लौट गई।
भारतीय जमीन पर अवैध कब्जा
आपको बता दें देश में हाल में ही पीएम मोदी के मेजबानी में दिल्ली में G20 का आयोजन हुआ। जिसमें पीएम मोदी व अन्य देशों के प्रधानमंत्री ,राष्ट्रीय अध्यक्ष , राष्ट्रपति को भी फॉर्वर्ड डिप्लॉयमेन्ट चीन के साथ तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत की जमीन पर किसी कब्जा नहीं हैं और न ही कोई घुसपैठ हुई थी।
अब सैटेलाइट तस्वीरें भी इस बात की गवाही दे रही हैं कि भारत की जमीन पर किसी तरह की कोई घुसपैठ नहीं हुई थी। चीनी सेना ने एलएसी के पार बफर जोन या नौ मैंस लैंड में भारत के साथ धोखा जरूर किया जिसका भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया. लेकिन एलएसी के इस पार हिंदुस्तान की सरहद में चीनी सेना कभी नहीं आई। गलवान घाटी में भारत की जमीन पूरी तरह से महफूज हैं।
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में यह बात कही
चीन लगातार भारत की 38 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर अवैध कब्जा कर रहा हैं। यह काम वह पिछले 60 साल से कर रहे हैं। सरकार ने शुक्रवार को संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में एक सवाल के जवाब में यह बात कही। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए कहा कि चीन ने पिछले 6 दशकों से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में करीब 38 हजार वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जे वाली शक्सगाम घाटी में 1963 में चीन को 5 हजार 180 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन अवैध रूप से दी थी।
भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती
इससे पहले चीन के मुद्दे पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 3 फरवरी को संसद में केंद्र सरकार पर आरोप लगाए थे। इस दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि केंद्र की गलत नीतियों के कारण चीन और पाकिस्तान करीब आ गए हैं। राहुल ने संसद में भारत सरकार की विदेश नीति की आलोचना करते हुए कहा था कि, ‘सरकार की नीति ने चीन और पाकिस्तान को करीब लाने का काम किया हैं और यह भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती हैं। जिस पर सरकार ने जवाब दिया कि चीन और पाकिस्तान 1960 से एक-दूसरे के करीब हैं और यह आज की बात नहीं है, नेहरू-इंदिरा के समय से ही चीन और पाकिस्तान के बीच दोस्ती हैं।
शीतकालीन ओलंपिक का बहिष्कार करने का किया फैसला
बता दें कि भारत ने हाल ही में चीन के शीतकालीन ओलंपिक का बहिष्कार करने का फैसला किया था। जिसका अमेरिका ने खुलकर समर्थन किया था। दरअसल, भारत ने पिछले साल आरआईसी (रूस, भारत, चीन) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शीतकालीन ओलंपिक का समर्थन कर सबको चौंका दिया था। लेकिन शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प में चीन घायल हो गया। एक चीनी सैनिक को मशालची बनाने का फैसला किया। चीन के इस फैसले के बाद भारत ने अपना फैसला बदल दिया और राजनयिक बहिष्कार की घोषणा कर दी।