PM Modi Order For Union Secretaries: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने एक बार फिर सरकारी कर्मचारियों की कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार पर सख्त रुख अपनाते हुए केंद्रीय सचिवों को सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि जो कर्मचारी खराब प्रदर्शन कर रहे हैं या भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, उन्हें समय से पहले अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है। इस संबंध में प्रधानमंत्री ने सीसीएस (Pension) नियमों का हवाला देते हुए कहा कि “सार्वजनिक हित” में सरकारी कर्मचारियों का कठोर मूल्यांकन जरूरी है। इस नियम के तहत 55 वर्ष की आयु के बाद या 30 वर्षों की सेवा पूरी करने के बाद कर्मचारियों को रिटायर करने का प्रावधान है।
जन शिकायतों का त्वरित समाधान अनिवार्य
प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर ध्यान केंद्रित किया बल्कि जन शिकायतों के त्वरित और प्रभावी समाधान पर भी जोर दिया। उन्होंने मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे सुनिश्चित करें कि फाइलें इधर-उधर न घूमती रहें, बल्कि जन समस्याओं का तत्काल समाधान किया जाए। पीएम मोदी ने सुझाव दिया कि हर सप्ताह एक दिन जन शिकायतों के समाधान के लिए सुनिश्चित किया जाए और राज्य मंत्रियों से इस प्रक्रिया की निगरानी की अपेक्षा की गई है।
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प्रधानमंत्री कार्यालय को मिली 4.5 करोड़ शिकायतें
प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को लगभग 4.5 करोड़ शिकायतें प्राप्त हुईं। इसके विपरीत, मनमोहन सिंह सरकार के अंतिम पांच वर्षों में केवल 5 लाख शिकायतें आई थीं। मोदी ने इसे जनता की बढ़ी हुई अपेक्षाओं के रूप में देखा और कहा कि लोग वर्तमान सरकार से अधिक आशावान हैं। इन शिकायतों में से लगभग 40% मामले केंद्र सरकार के विभागों और एजेंसियों से जुड़े थे, जबकि शेष 60% मामले राज्य सरकारों से संबंधित थे।
कामचोर और भ्रष्ट कर्मचारी होंगे निशाने पर
पीएम मोदी का यह निर्देश उनके भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान का हिस्सा माना जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि ऐसे सरकारी कर्मचारी जो अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर रहे हैं या भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए उन्होंने सचिवों से आग्रह किया कि वे नियमों के तहत कर्मचारियों के प्रदर्शन का कठोर आकलन करें और जरूरी हो तो उन्हें समय से पहले रिटायर किया जाए।
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अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए तीन महीने का नोटिस
प्रधानमंत्री ने जबरन रिटायरमेंट के प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए कहा कि सरकार को इस प्रक्रिया के तहत संबंधित कर्मचारी को तीन महीने का नोटिस या तीन महीने का वेतन और भत्ते देना होगा। उन्होंने यह भी बताया कि 55 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले सरकारी कर्मचारी इस नियम से प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा, नियम 48 के तहत, किसी भी कर्मचारी को 30 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद सार्वजनिक हित में रिटायर किया जा सकता है।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनावी सफलता का किया जिक्र
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में भाजपा की चुनावी सफलता का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भाजपा की इन राज्यों में विजय इस बात का प्रमाण है कि जनता पार्टी पर भरोसा करती है और पार्टी जनहित में काम कर रही है। उन्होंने अधिकारियों और मंत्रियों से आग्रह किया कि जन शिकायतों को प्राथमिकता दें और बेहतर शासन सुनिश्चित करें।
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भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहना जरूरी
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार की प्राथमिकताओं और जनता की अपेक्षाओं के बीच तालमेल बैठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में लोगों की अपेक्षाएं तेजी से बढ़ रही हैं और सरकार को उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना होगा। सरकारी कर्मचारियों से उम्मीद की जा रही है कि वे न केवल ईमानदारी से काम करें, बल्कि अपनी जिम्मेदारियों को समय पर पूरा भी करें। प्रधानमंत्री मोदी का यह सख्त रुख यह दिखाता है कि सरकार प्रशासनिक सुधारों को लेकर गंभीर है। खराब प्रदर्शन और भ्रष्टाचार के खिलाफ इस तरह के कड़े कदम न केवल सरकारी कर्मचारियों की कार्यशैली में सुधार लाएंगे, बल्कि जन अपेक्षाओं को भी पूरा करने में मदद करेंगे।