कानपुर संवाददाता- दीपक यादव …
कानपुर: भारत में गंगा नदी को जहां एक तरफ पूजा जाता है, तो वहीं कई लोग और प्रशासन गंगा के प्रदूषित होने के कारण चिंतित रहते हैं। कानपुर में 126 साल पुराना सिसामऊ नाला है जो कि गंगा नदी को प्रदूषित करने के नाम पर सबसे बड़ा कलंक है। इसको बंद करने के लिए सरकार ने करोड़ों का बजट नमामि गंगे के नाम पर खर्च किया।
नमो गंगे के तहत योगी और मोदी ने किया था निरिक्षण…
सीसामउ नाले को पूरी तरह बंद कर दिया गया था। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने वहां पर सेल्फी भी खींची थी और इस बड़ी उपलब्धि को लेकर प्रशासन की तारीफ भी की थी। इसके बावजूद आज भी कानपुर में सीसामऊ का नाला बिना रोक टोक के गंगा में सीधा गिर रहा है और पानी को हर दिन दूषित कर रहा है।
करोड़ों रूपये के लागत से किया गया था निर्णय…
करोड़ों रुपए के खर्चे के बाद भी नाला बंद नही किया जा सका। जब अधिकारियों से इस बारे में बात कि तो वो तरह तरह के तर्क देने लगे और सवालों से भागते दिखाई दिए। कभी शहर में बारिश होने की वजह से नाला बहने की बात कहते है तो कभी कुछ और लेकिन इस समय तो शहर में बारिश भी नही हुई है फिर भी नाला सीधा गंगा में गिर रहा है, इसका अधिकारीयों के पास कोई भी जवाब नहीं था। सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक गंगा का जल पूजा आचमन तो दूर की बात है नहाने के लायक भी नही है।
गंगा नदी सबसे ज्यादा कानपुर में होती है प्रदूषित…
गंगा जल का पीएच लेबल बहुत ज्यादा खराब है। लोगों का मानना है कि गंगा नदी सीधा पहाड़ों से निकल कर मैदानी क्षेत्र में आने के बाद सबसे ज्यादा प्रदूषित कानपुर में ही आकर होती है। वही इस मामले में जब महापौर प्रमिला पांडे से फोन पर बात की गई तो उनका कहना है की सीसामऊ नाले को बंद करना सरकार का सबसे बड़ा काम था लेकिन आप के द्वारा बताया गया है की नाला चालू है। हम इसकी जांच करवाए और दोषी अधिकारियों कें खीलाफ शासन को पत्र लिखेंगे।