Delhi News: देश की राजधानी दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में इन दिनों भीषण ठंड का प्रकोप लगातार जारी है.एक तरफ जहां चल रही पछुआ हवाओं के कारण सर्दी का सितम अपने चरम पर है तो वहीं भीषण कोहरे ने लोगों की मुश्किलों को और अधिक बढ़ा दिया है. ठंड से बचने के लिए लोग तरह-तरह के प्रयास कर रहे हैं। घरों से बाहर लोग बहुत जरूरी काम से ही निकल रहे हैं ऐसे में घर बैठकर लोग हीटर और आग जलाकर ठंड से बचने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इसी बीच राजधानी दिल्ली में ठंड से बचने की कोशिश में अंगीठी जलाकर सो रहे एक परिवार के 4 सदस्यों की दर्दनाक मौत हो गई है.ये खबर बेहद भयावह है जिसमें परिवार ने रात में अंगीठी जलाकर सोने का मन बनाया लेकिन सोते-सोते कब दम घुटने से परिवार के 4 सदस्यों की मौत हो गई इसका पता किसी को नहीं लग सका।
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दम घुटने से परिवार के 4 सदस्यों की दर्दनाक मौत
दिल्ली के अलीपुर में खेड़ा कलां गांव में अंगीठी जलाकर सो रहे परिवार के 4 सदस्यों की मौत हुई है इसमें पति-पत्नी और 2 बच्चे शामिल हैं.मौत की वजह दम घुटना बताया जा रहा है। इसकी जानकारी सुबह पड़ोसियों ने पुलिस को दी जिसके बाद सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने घर के भीतर जाकर छानबीन की। पुलिस अधिकारी का कहना है कि,प्रारंभिक जांच में पति-पत्नी और 2 बच्चों की मौत हो गई है। जांच के लिए फॉरेंसिक टीम को बुलाया गया है.अंगीठी के नमूने एकत्र किए गए हैं जिसकी आगे जांच की जा रही है।
वहीं एक दूसरी खबर भी दिल्ली के इंद्रपुरी इलाके की है जहां कड़कड़ाती ठंड से बचने की कोशिश में 2 युवकी की मौत हो गई है.मृतक अभिषेक और सोम बहादुर नेपाल के रहने वाले थे जो दिल्ली के इंद्रपुरी इलाके में रहते थे दोनों कमरे में अंगीठी जलाकर सो रहे थे जिसके बाद दम घुटने से इन दोनों की मौत हो गई.पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है।
बंद कमरे में अंगीठी जलाना बेहद खतरनाक
आपको बता दें कि,इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं जब कमरे में अंगीठी जलाकर सोने की वजह से दम घुटने से लोगों की मौत हुई है लेकिन फिर भी लोग इस तरह की खबरों से सीख नहीं लेते.एक्सपर्ट का कहना है कि,अंगीठी में कोयला डालकर जलाने से कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी गैसें रिलीज होती हैं जो जहरीली होती हैं। अगर बंद कमरे में अंगीठी जलाई जाती है तो कमरे में कॉर्बन मोनो ऑक्साइड गैस का स्तर काफी बढ़ जाता है जिससे ऑक्सीजन का स्तर बढ़ जाता है।
कार्बन मोनो ऑक्साइड में कॉर्बन की मात्रा होती है जो ब्रेन को प्रभावित करती है.जिसके कारण बंद कमरे में सोया इंसान बेहोश भी हो सकता है.जब व्यक्ति सांस लेता है तो सांस के साथ ही खतरनाक कॉर्बन मोनो ऑक्साइड गैस फेफड़ों में पहुंच जाती है और ब्लड में मिल जाती है जिससे इंसान की जान जाने का खतरा बढ़ जाता है।