Aditya L1: नए साल की शुरुआत में ही भारत ने स्पेस सेक्टर में एक और बड़ी सफलता हासिल की है। साल 2023 में चंद्रयान-3 की सफलता के बाद आज नए साल पर ISRO को दूसरी बड़ी सफलता मिली है। भारत का पहला सोलर मिशन ‘आदित्य L1’ आज शाम 4 बजे के करीब अपने लक्ष्य पर पहुंच गया है। बता दे कि इसको आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था, जो कि आज अपनी आखिरी और बेहद कठिन प्रक्रिया से होकर गुजरा है।
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पीएम मोदी ने ISRO को दी बधाई
ये ISRO के लिए बहुत बड़ी कामयाबी है,जिस पर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर ट्वीट करके बधाई दी है। पीएम मोदी ने लिखा “भारत ने एक और माइलस्टोन हासिल किया है। भारत की पहली सोलर ओबजर्वेटरी आदित्य-एल 1 अपनी मंजिल तक पहुंच गई। यह सबसे जटिल अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं देशवासियों के साथ इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करता हूं। हम मानवता के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाते रहेंगे।”
भारत के लिए यह साल काफी शानदार रहा
भारत के लिए ये पल बहुत ही खास है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के लिए यह साल काफी शानदार रहा है। पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इसरो ने एक और सफलता की कहानी लिखी है। आदित्य एल1 सूर्य से जुड़ो रहस्यों की खोज के लिए अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच गया है। स्पेस क्राफ्ट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी सिस्टम के लैग्रेंज प्वाइंट (एल 1) के आसपास एक हेलो कक्षा में पहुंच चुका है। एल1 प्वाइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है। अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंचने के बाद अंतरिक्ष यान बिना किसी ग्रहण के सूर्य को देख सकेगा।
आखिर क्या है इसका उद्देश्य ?
आपको बता दे कि ISRO के इस मिशन का उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप, सूर्य के धधकने से जुड़ी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं और अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को बेहतर ढंग से समझना है। इसके साथ ही आदित्य एल1 मिशन का लक्ष्य सूर्य का अध्ययन करना है। यह मिशन सात पेलोड लेकर गया था, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपर) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) पर रिसर्च करने में मदद करेंगे।
बता दें कि सूर्य अध्ययन करना काफी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इसके सतह का तापमान लगभग 9,941 डिग्री फारेनहाइट है। अब तक सूरज के बाहरी कोरोना का तापमान भी मापा नहीं जा सका है। इसी को देखते हुए आदित्य एल1 पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी के लगभग एक प्रतिशत दूरी 15 लाख किलोमीटर पर मौजूद एल1 की पास की कक्षा में स्थापित किया गया है। ये भारत के लिए बहुत बड़ी सफलता है।
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