Supreme Court on Bulldozer: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को चल रहे बुलडोजर एक्शन (Bulldozer Action) के खिलाफ दाखिल जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुनवाई हुई। यह सुनवाई जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बेंच कर रही है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केवल सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण हटाने की ही अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही, कोर्ट ने अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई को धर्म से जोड़ने पर कड़ी नाराजगी भी जाहिर की।
कोर्ट का सवाल: क्या दोषी करार देने पर संपत्ति तोड़ी जा सकती है?
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या दोषी पाए जाने पर किसी व्यक्ति की संपत्ति तोड़ी जा सकती है? इस पर सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि हत्या, रेप, या आतंकवाद जैसे गंभीर अपराधों में भी किसी की संपत्ति को गिराने का आधार नहीं हो सकता। उन्होंने सुझाव दिया कि अतिक्रमणकारियों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया रजिस्टर्ड एडी डाक से होनी चाहिए और उन्हें दस दिन का समय दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट: सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है। यदि कोई धार्मिक ढांचा सड़क, जल निकायों या रेल पटरियों पर अतिक्रमण कर रहा है, तो उसे हटाया जाना चाहिए। जस्टिस गवई ने जोर देकर कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और अतिक्रमण विरोधी अभियान के लिए अदालत के निर्देश सभी नागरिकों पर लागू होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म के हों।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी: हर धर्म के ढांचे पर होगा एक समान कानून
कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि कोई भी धार्मिक ढांचा चाहे वह गुरुद्वारा हो, दरगाह हो या मंदिर, यदि वह सार्वजनिक सुरक्षा में बाधा है, तो उसे हटाया जाएगा। जस्टिस गवई ने कहा कि धार्मिक स्थलों को लेकर कोई भेदभाव नहीं होगा, चाहे वे किसी भी धर्म से संबंधित हों।
नगर निगम और विधिक प्रक्रिया का पालन जरूरी: तुषार मेहता
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यूपी, एमपी और राजस्थान सरकारों की ओर से पेश होकर कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी मामले में आरोपी है, तो यह संपत्ति को गिराने का आधार नहीं हो सकता। नगर निगम कानून या नगर नियोजन नियमों का उल्लंघन होना चाहिए और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई के दौरान उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है, जिसमें नोटिस जारी करना और पक्षों की बात सुनना शामिल है।
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हिंदू-मुस्लिम एंगल को हटाने पर दिया जोर
सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि कुछ लोग इस मामले को हिंदू-मुस्लिम एंगल से जोड़ रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि भेदभाव का कोई सवाल नहीं है, और धार्मिक समुदायों को निशाना बनाए जाने का दावा असत्य है। जस्टिस विश्वनाथन ने सुझाव दिया कि इस मामले में न्यायिक निगरानी की आवश्यकता हो सकती है ताकि निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
मीडिया प्रचारित घटनाओं पर सामान्य कानून बनाने का दिया सुझाव
तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि सुप्रीम कोर्ट को मीडिया में प्रचारित कुछ घटनाओं के बजाय सामान्य कानून बनाने पर विचार करना चाहिए, जो पूरे देश में लागू हो। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी समुदायों के लिए समान कानून हो और किसी विशेष धर्म को निशाना नहीं बनाया जा रहा हो।
अतिक्रमण विरोधी अभियान पर सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट नीति
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में सभी अतिक्रमण विरोधी अभियानों के लिए उसके निर्देश लागू होंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि बेंच को इस मुद्दे पर लगाए गए आरोपों पर विश्वास नहीं करना चाहिए कि एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। जस्टिस गवई ने कहा, “हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं और हमारे निर्देश सब पर लागू होंगे, किसी को भी धार्मिक आधार पर छूट नहीं दी जाएगी।”
महिलाओं, बच्चों और वृद्धों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जरूरत
जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि भले ही किसी निर्माण को गैरकानूनी करार दिया गया हो, लेकिन महिलाओं, बच्चों और वृद्धों को अचानक सड़क पर आना मजबूर नहीं किया जा सकता। उन्होंने सुझाव दिया कि इन्हें हटाने से पहले उन्हें पर्याप्त समय और वैकल्पिक व्यवस्था दी जानी चाहिए ताकि वे अपने जीवन को व्यवस्थित कर सकें। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन और अतिक्रमण विरोधी अभियान को लेकर स्पष्ट किया कि देश में धार्मिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। अदालत ने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है और अतिक्रमण चाहे किसी भी धर्म का ढांचा हो, उसे हटाया जाएगा। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए कि किसी भी व्यक्ति की संपत्ति गिराने से पहले कानूनी प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
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