पंजाब: पंजाब में अमृतपाल को गिरफ्तार कर लिया गया था मगर अब अमृतपाल और उसके साथियों से जूडी कुछ खबरें और सामने आ रही हैं आपको बता दे कि अमृत पाल को जेल में फोन पर बात ना करने देने और खाने में तंबाकू दिया जा रहा था जिसको लेकर ज्ञानी हरप्रीत और शिरोमणि कमेटी ने विरोध जताया है। उन्होंने कहा जेल में सबके साथ समान व्यवहार होना चाहिए।
वही जेल में हो रहे अमृतपाल और उसके साथी के साथ क्रिया को लेकर अमृतपाल सिंह की पत्नी किरणदीप कौर ने कहा कि अगर फोन से बातचीत की सुविधा मुहैया करा दी जाए तो एक मुलाकात पर 20 से 25 हजार रुपये एक व्यक्ति को खर्च नहीं करने पड़े। हर परिवार यह खर्च सहन नहीं कर सकता है।
बता दे कि ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख एवं खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की पत्नी किरणदीप कौर ने जेल में उससे मुलाकात करने के बाद किरणदीप कौर ने कहा कि अमृतपाल सिंह अन्य कैदियों के साथ असम की डिब्रूगढ़ जेल में भूख हड़ताल पर है। उन्होंने जेल प्रशासन पर आरोप लगाया है कि पंजाब सरकार डिब्रूगढ़ जेल से उन्हें फोन करने की अनुमति नहीं दे रही है। जेल का खाना खाने लायक नहीं है, उनके साथ समान अपराधियों के तरह बरताव नहीं किया जा रहा हैं।
किरणदीप कौर ने किया भूख हड़ताल पर बैठने का खुलासा
वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह और उसके साथी डिब्रूगढ़ जेल में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। अमृतपाल की पत्नी किरणदीप कौर ने उनके भूख हड़ताल पर बैठने का खुलासा किया है। किरणदीप कौर ने यह भी कहा कि उन्हें जेल के खाने में तंबाकू मिलाकर दिया जा रहा है। खाने में तंबाकू को लेकर तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने निंदा की है। उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी करते हुए जेल में बंद गुरसिखों को दाल सब्जी में तंबाकू देना असहनीय है।
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‘आंटे में तंबाकू गूंथकर खिलाना गलत’
वहीं इस मामले को लेकर असम की डिब्रूगढ़ जेल में वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह समेत उसके 9 साथी कैद हैं। अमृतपाल की पत्नी किरणदीप कौर ने जब खुलासा किया था। जिसको लेकर जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि मीडिया में छपी खबर के मुताबिक NSA के तहत जेल में बंद अमृतपाल सिंह और अन्य युवाओं को आंटे में तंबाकू गूंथकर खिलाना दर्दनाक और असहनीय है। उन्होंने कहा कि असम जेल प्रशासन को सिख कैदियों के साथ भेदभाव बंद करना चाहिए और उन्हें आम कैदियों की तरह फोन की सुविधा दी जानी चाहिए। सभी सिखों के परिवारों और वकीलों को बार-बार डिब्रूगढ़ की यात्रा करनी पड़ती है। वहीं भाषा की कठिनाई को दूर करने के लिए जेल प्रशासन को एक अनुवादक की जरूरत है।
शिरोमणि कमेटी ने भी जताया विरोध
जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि शिरोमणि कमेटी के कानूनी सदस्य और वकील भगवंत सिंह सियालका जेल प्रशासन के संपर्क में हैं और इस संबंध में सभी समस्याओं का जल्द समाधान करने की सिफारिश की जा रही है। वहीं शिरोमणि कमेटी ने भी इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा कि जेल में किया जा रहा मानवाधिकार का उल्लंघन और जेल में बंद गुरसिखों को दाल सब्जी में तम्बाकू देना बहुत बड़ा अपराध है।
किरणदीप कौर भी ले रही भूख हड़ताल में भाग
कभी-कभी संक्षेप में यह कहते हैं कि हम आपको नहीं समझते, न ही कोई दुभाषिया है… जो समझा सके। इस वजह से कुछ साथी मानसिक समस्याओं से भी जूझ रहे हैं। सरकार को जल्द से जल्द इन मुद्दों का समाधान करना चाहिए। यह केवल सामान्य सुविधाओं की मांग है और कुछ भी नहीं। उन्होंने कहा कि वह अपने पति के साथ इस भूख हड़ताल में भाग ले रही हैं।