parliament session 2024: भाजपा सांसद और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार ओम बिरला(Om Birla) को लोकसभा अध्यक्ष चुना गया है। अध्यक्ष पद संभालते ही, उन्होंने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र को संबोधित किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) तथा सदन के सभी सदस्यों का धन्यवाद किया। इस मौके पर बिरला ने 1975 के आपातकाल की कड़ी निंदा की, जिसके चलते विपक्ष ने इसपर जमकर हंगामा किया।
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आपातकाल की निंदा
ओम बिरला ने कहा, “यह सदन 1975 में देश में लगाए गए आपातकाल के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। हम उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं, जिन्होंने आपातकाल (Emergency) का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।” उन्होंने यह भी कहा कि 25 जून 1975 का दिन भारतीय इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा।
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नागरिक अधिकारों का हनन
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आपातकाल के दौरान भारतीय नागरिकों के अधिकार नष्ट कर दिए गए थे और उनकी स्वतंत्रता छीन ली गई थी। विपक्ष के नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया था, मीडिया पर पाबंदियां लगा दी गई थीं, और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगा दिया गया था। बिरला ने इसे ‘अन्याय काल’ और ‘काला कालखंड’ करार दिया।
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युवाओं को जानना चाहिए आपातकाल का इतिहास
बिरला ने कहा, “हम मानते हैं कि हमारी युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के इस काले अध्याय के बारे में जरूर जानना चाहिए। आपातकाल के दौरान, गैर-कानूनी गिरफ्तारियों और सरकारी प्रताड़ना के चलते अनगिनत लोगों को यातनाएं सहनी पड़ीं, और उनके परिवारों को असीमित कष्ट उठाना पड़ा।” उन्होंने उन कर्तव्यनिष्ठ और देशप्रेमी नागरिकों की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा, जिन्होंने आपातकाल के दौरान अपनी जान गंवाई।
ओम बिरला (Om Birla) ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार बनी है। उन्होंने कहा, “पिछले एक दशक में लोगों की अपेक्षाएं, आशाएं और आकांक्षाएं बढ़ी हैं। इसलिए, यह हमारा दायित्व बनता है कि उनकी अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को प्रभावी तरीके से पूरा करने के लिए हम सामूहिक प्रयास करें।”
25 जून 1975 का वो दिन
25 जून 1975 की रात भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक डरावनी रात बन गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आधी रात को देश में आपातकाल की घोषणा की। 26 जून 1975 को सुबह होने से पहले ही विपक्ष के कई बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था, जिनमें कांग्रेस के विद्रोही नेता चंद्रशेखर भी शामिल थे। आपातकाल के दौरान दिल्ली का तुर्कमान गेट कांड प्रमुख त्रासदी के रूप में सामने आया, जिसमें पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में कई लोग मारे गए थे। आपातकाल 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने तक चला, जिसमें जनता ने भारी त्रासदी झेली। अंततः 23 मार्च 1977 को देश में जनता पार्टी की सरकार बनी और आपातकाल समाप्त हुआ।