Odisha News: ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में एक इंसानियत को झकझोरने वाली घटना सामने आई है, जिसमें मानवता को शर्मसार कर देने वाली बेरुखी दिखाई गई। एक गर्भवती महिला, जिसका नाम वर्षा प्रियदर्शनी है, को कार्यालय में लेबर पेन शुरू हुआ। उन्होंने दर्द कारण छुट्टी की गुहार लगाई, लेकिन उनके बॉस ने उसे इजाजत देने से इनकार कर दिया। इस कारण वर्षा समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाईं, और उनका अजन्में बच्चें ने गर्भ में ही दम तोड़ दिया। यह हृदयविदारक घटना 25 अक्टूबर को घटी, लेकिन अब पीड़िता ने अपनी पीड़ा मीडिया से आकर साझा की है।
बॉस पर लगाया आरोप
वर्षा ने अपने बॉस, बाल विकास परियोजना अधिकारी (CDPO) स्नेहलता साहू पर मानसिक उत्पीड़न और कर्मचारियों के प्रति लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने जिला कलेक्टर को लिखित शिकायत देकर साहू के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। वर्षा का कहना है कि उस दिन सहकर्मियों ने CDPO साहू को उनके दर्द के बारे में जानकारी दी, लेकिन अधिकारी ने इसे अनसुना कर दिया। न सिर्फ उनकी हालत को गंभीरता से नहीं लिया, बल्कि वर्षा को अस्पताल तक पहुंचाने का प्रयास भी नहीं किया गया। इस संवेदनहीनता ने वर्षा और उनके परिवार को गहरे आघात में डाल दिया है।
उप-मुख्यमंत्री ने तलब की रिपोर्ट, जांच के दिए आदेश
घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री प्रवती परिदा ने भी इस पर संज्ञान लिया है। उन्होंने केंद्रपाड़ा कलेक्टर से जांच रिपोर्ट तलब की और मामले पर अपनी चिंता व्यक्त की। इसके साथ ही ADM नीलू मोहपात्रा ने भी स्वत: संज्ञान लेते हुए जिला समाज कल्याण अधिकारी (DSWO) मनोरमा स्वैन को इस मामले में जांच के निर्देश दिए हैं। DSWO स्वैन ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए एक विशेष कमेटी गठित की जाएगी, जो अपनी रिपोर्ट के आधार पर आगामी कार्रवाई की सिफारिश करेगी।
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ऑफिस में मदद न मिलने पर खो दिया अपना बच्चा
वर्षा डेराबिश ब्लॉक में महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत हैं और उस दिन जब उन्हें अचानक लेबर पेन हुआ, तो उनके सहकर्मियों ने तुरंत स्नेहलता साहू को इस बारे में सूचित किया और वर्षा को अस्पताल ले जाने का अनुरोध भी किया। लेकिन साहू ने इसे नज़रअंदाज करते हुए वर्षा को छुट्टी नहीं दी। इस बेरुखी के कारण अस्पताल पहुंचने में हुई देरी ने वर्षा का सपना तोड़ दिया और उन्होंने गर्भ में ही अपना बच्चा खो दिया। इस दर्दनाक घटना ने न सिर्फ वर्षा बल्कि पूरे कार्यालय के माहौल को झकझोर कर रख दिया है।
सख्त कार्रवाई की मांग
इस घटना ने ऑफिस के सभी कर्मियों और आम नागरिकों में आक्रोश फैला दिया है। कई कर्मियों ने CDPO के दुर्व्यवहार पर सवाल उठाए हैं और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। वर्षा का परिवार और उनके सहयोगी इस बात से बेहद आहत हैं कि कैसे एक इंसान इतने असंवेदनशील हो सकता है कि किसी गर्भवती महिला को तड़पता छोड़ दे। मामले की निष्पक्ष जांच के बाद ही इस निर्दयी व्यवहार पर कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
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पीड़िता ने मांगा इंसाफ
वर्षा और उनके परिवार को इस वक्त न्याय की उम्मीद है। इस तरह की अमानवीयता पर कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने कहा है कि ऐसी स्थिति में अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है कि वे अपने कर्मचारियों की सुरक्षा और जरूरतों का ख्याल रखें। वर्षा का कहना है कि वह अपने बच्चे को तो खो चुकी हैं, लेकिन वह चाहती हैं कि आगे से किसी भी गर्भवती महिला को इस तरह की पीड़ा का सामना न करना पड़े। यह घटना सिर्फ वर्षा की कहानी नहीं, बल्कि समाज के उस अमानवीय पक्ष को उजागर करती है, जो संवेदनाओं से दूर होता जा रहा है। सभी की नजरें अब सरकार और प्रशासन की कार्रवाई पर हैं, ताकि इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगे और पीड़िता को इंसाफ मिल सके।
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