उत्तर कोरिया ने इस साल अपने तीसरे प्रक्षेपण प्रयास के साथ एक जासूसी उपग्रह को कक्षा में स्थापित कर दिया है, वही बता दे कि इस सफलता से पहले इस साल उत्तर कोरिया को दो बार असफलता मिली थी।
North Korea: दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच की खींचतान जगजाहिर है। वही इस सब के बीच इस साल की शुरुआत में दो असफल कोशिशों के बाद जासूसी सैटेलाइट को कक्षा में भेजने का यह उसका तीसरा प्रयास है। वही उत्तर कोरिया के अधिकारियों का कहना है, कि उन्होंने स्पेस में अपनी पहली स्पाई सैटेलाइट लॉन्च कर दी है। यह प्रक्षेपण जपान और दक्षिण कोरिया के विरोध के ठीक एक दिन बाद किया गया है। इसे 22 नवंबर से 1 दिसंबर के बीच कभी भी लॉन्च किए जाने की संभावना है।
Read more: Israel-HamasWar: Hamas मस्जिद में रखता है हथियार..
पिछले दो प्रयास रहे थे विफल…
उत्तर कोरिया के पहले जासूसी उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के पिछले दो प्रयास विफल रहे, और अगस्त में आखिरी प्रयास के बाद, उत्तर कोरिया के वैज्ञानिकों ने अक्टूबर में फिर से प्रयास करने का वादा किया था।
दुश्मनों की सैन्य गतिवधियों पर रखेगा नजर…
उत्तर कोरिया ने इस उपग्रह की स्थापना दुश्मन देशों की सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने और उसके अनुसार खुद को तैयार रखने के मकसद से किया गया है। एक बयान में कहा गया है कि यह जासूसी उपग्रह किम जोंग ने अपने प्रतिद्वंद्वियों के शत्रुतापूर्ण सैन्य कदमों के जवाब में उत्तर कोरिया की युद्ध तत्परता को बढ़ाने के उद्देश्य से है। इसमें कहा गया है कि उत्तर कोरिया भविष्य में भी ऐसे ही और अधिक जासूसी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की योजना बना रहा है। उत्तर कोरिया के इस कदम से दक्षिण कोरिया, जापान और अमेरिका का तनाव बढ़ गया है।
अभी और सैटेलाइट भेजेगा उत्तर कोरिया…
माना जा रहा है की उत्तर कोरिया आने वाले दिनों में अभी और स्पाई सैटेलाइट स्पेस में भेजे जा सकते हैं। राष्ट्रपति किम जोंग उन के लोग इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहे हैं। यह स्पाई सैटेलाइट्स उत्तर कोरिया की सेना के लिए अंतरिक्ष में आंखें बन कर काम करेगी, ताकि उसकी सैन्य क्षमता और बढ़ सके और सर्विलांस में मदद मिले।
अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की प्रवक्ता एड्रीन वॉटसन ने कहा कि इससे तनाव बढ़ेगा। साथ ही कोरिया के आसपास के इलाकों में सुरक्षा स्थितियों में बेवजह की दरार आएगी। उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया के अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम की वजह से पूरी दुनिया को खतरा पैदा हो सकता है।