Lok Sabha Elections2024 : लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने आज नोट के बदले वोट देने के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए सांसदों को किसी भी तरह छूट देने से इनकार कर दिया है.शीर्ष अदालत की 7 जजों वाली संवैधानिक पीठ ने सोमवार को ये फैसला सुनाया है,इस फैसले से कोर्ट ने अपने पुराने फैसले को पलट दिया है.सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 105 का हवाला देते हुए कहा कि,घूसखोरी के मामले में सांसदों को किसी तरह की राहत नहीं दी जा सकती है.इस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के नरसिम्हा राव के फैसले को पलट दिया है।
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घूसखोरी पर किसी तरह की छूट नहीं दी जा सकती-SC
सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों वाली बेंच ने अपने फैसले में कहा कि,सांसद या विधायक सदन में मतदान के लिए रिश्वत लेकर मुकदमे की कार्रवाई से नहीं बच सकते हैं.सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि,घूसखोरी पर किसी तरह की छूट नहीं दी जा सकती है.1998 में 5 जजों की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से तय किया था कि इसके लिए जनप्रतिनिधियों पर मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता।
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5 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 सदस्यीय पीठ ने नोट के बदले वोट मामले में 5 अक्टूबर 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.दरअसल,1998 में दिये गए फैसले में सांसदों और विधायकों को सदन में भाषण देने या फिर वोट देने के लिए रिश्वत लेने पर भी अभियोजन से छूट दी गई थी।संविधान पीठ ने 1998 में झामुमो रिश्वत कांड पर दिए अपने फैसले पर पुनर्विचार के संबंध में सुनवाई पूरी कर 5 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि,सांसदों और विधायकों को सदन में वोट और बयान के बदले कैश के मामले में मुकदमा चलाने में छूट दी जाएगी।
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पीवी नरसिम्हा राव के फैसले को पलटा
वहीं सोमवार को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि,संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 में रिश्वत से छूट का प्रावधान नहीं है क्योंकि रिश्वतखोरी आपराधिक कृत्य है और ये सदन में भाषण देने या वोट देने के लिए जरूरी नहीं है।पीवी नरसिम्हा राव मामले में दिए फैसले की जो व्याख्या की गई है,वो संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 के विपरीत है।