Manish Verma News: जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा (Manish Verma) को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले मनीष वर्मा ने कुछ दिन पहले ही जदयू का दामन थामा था। इस नियुक्ति से बिहार की सियासत में हलचल तेज हो गई है। ओडिशा कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा ने मंगलवार को जदयू की सदस्यता ग्रहण की थी। उन्हें जदयू प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में पार्टी की सदस्यता दिलाई गई थी। वर्मा की नियुक्ति के बाद से बिहार की राजनीति में नई चर्चा शुरू हो गई है।
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मनीष वर्मा का परिचय
50 वर्षीय मनीष वर्मा बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता, डॉ. अशोक वर्मा, बिहारशरीफ के एक प्रमुख डॉक्टर हैं। मनीष वर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिहारशरीफ के एक सरकारी स्कूल से प्राप्त की। उन्होंने पटना के एक स्कूल से पढ़ाई के बाद आईआईटी दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। यूपीएससी पास करने से पहले वे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन में काम कर चुके हैं।
प्रशासनिक सेवा में वर्मा की यात्रा
वर्मा की पहली पोस्टिंग कालाहांडी में हुई और फिर वे ओडिशा के रायगरा के गुनुपुर में सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) बने। बिहार में प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने से पहले वे 12 साल तक ओडिशा में रहे। बिहार में वे पटना और पूर्णिया के जिला मजिस्ट्रेट भी रह चुके हैं। 2016 से 2021 तक वे मुख्यमंत्री के सचिव के पद पर भी तैनात थे।
नीतीश कुमार और नौकरशाहों का साथ
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) 2005 में बिहार की सत्ता में आए और उन्होंने राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के लिए नौकरशाहों पर भरोसा किया। इस सिलसिले की शुरुआत पूर्व आईएएस एनके सिंह से हुई थी, जिन्हें नीतीश कुमार ने पार्टी का राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता बनाया था। एनके सिंह को बाद में राज्यसभा भेजा गया। हालांकि, वे कुछ वर्षों के बाद नीतीश कुमार से दूर हो गए।
पवन वर्मा का अलग रास्ता
दूसरा बड़ा नाम पवन वर्मा (Pawan Kumar) का है, जो एक आईएफएस अधिकारी रहे हैं। नीतीश कुमार से उनकी नजदीकियां बढ़ीं और उन्हें जदयू में राष्ट्रीय सचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद मिला। पवन वर्मा को भी जदयू कोटे से राज्यसभा भेजा गया। हालांकि, बाद में उनके और नीतीश कुमार के बीच दूरियां बढ़ गईं और उन्होंने पार्टी छोड़ दी।
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मनीष वर्मा से नई उम्मीदें
मनीष वर्मा की नियुक्ति से जदयू (JDU) को नई उर्जा मिलने की उम्मीद है। वर्मा के प्रशासनिक अनुभव और नीतीश कुमार के साथ उनके घनिष्ठ संबंध पार्टी को मजबूती प्रदान कर सकते हैं। वर्मा की नई भूमिका में पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को और सशक्त बनाने की दिशा में काम किया जाएगा। मनीष वर्मा की जदयू में नियुक्ति से बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ आया है। नीतीश कुमार के विश्वासपात्र वर्मा की नियुक्ति से पार्टी को नई दिशा और ऊर्जा मिल सकती है। अब देखना होगा कि वर्मा अपनी नई जिम्मेदारी को कैसे निभाते हैं और जदयू को कितना मजबूत कर पाते हैं।
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