Nipah Virus : केरल में एक बार फिर से निपाह वायरस (Nipah Virus In Kerala) की एंट्री हो चुकी है। डेंगू – मलेरिया में के बींच अब केरल में एक बार फिर से निपाह वायरस वापस लौट आया है। वहीं निपाह वायरस केरल के साथ ही कई अन्य प्रदेशों में भी फैलने की आशंका जताई जा रही है।वहीं बीते सोमवार को केरल के कोझिकोड जिला प्रशासन ने ज़िले में निपाह वायरस का अलर्ट जारी कर दिया था।राज्य में अब तक निपाह वायरस से दो लोगों की मौत हो चुकी है।इसके अलावा केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इन 700 में से लगभग 77 लोग हाई रिस्क की श्रेणी में हैं।
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लोगों के मन में डर पैदा
वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इसकी पुष्टि बीते मंगलवार (12 सितंबर) को की थी। जिसके बाद संक्रमण को रोकने के प्रबंध में राज्य सरकार की मदद के लिए विशेषज्ञों की टीम को केरल भेजा गया था। बता दे कि बिते साल Covid से परेशान थे। वहीं दो साल बाद लोगों ने इस जानलेवा Covid से राहत पाई है। जीवन पहली की तरह पटरी पर लौट चुका है। लेकिन इस बीच निपाह वायरस ने दस्तक दि है। बता दे कि इस बिमारीं ने फिर लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है।
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700 में से लगभग 77 लोग हाई रिस्क की श्रेणी में
एक 24 वर्षीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता जो निपाह रोगी के निकट संपर्क में आया था, वह भी बुधवार को निपाह वायरस से संक्रमित मिला। जिससे राज्य में पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या पांच हो गई है। वहीं, दूसरी ओर राज्य सरकार ने वायरस को फैलने से रोकने के लिए रोकथाम क्षेत्र और प्रतिबंधों की घोषणा कर दी है। जिसके बाद मरीजों के संपर्क में आए लोगों की सूची भी चिंता का कारण बन गई है , क्योंकि 700 लोग मरीजों के संपर्क में आए हैं। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि इन 700 में से लगभग 77 लोग हाई रिस्क की श्रेणी में हैं।
क्या है निपाह वायरस
निपाह वायरस जानवरों से इंसानों में होने वाली बीमारी है, जिसे ज़ूनोटिक डिज़ीज़ (Zoonotic Disease) कहा जाता है। ये निपाह वायरस चमगादड़ों और सुअर के जरिए इंसानों में फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इसका पहला मामला 1998 में मलेशिया के एक गांव सुंगई निपाह में सामने आया था। लोगों में यह संक्रमण फैलने लगा। संक्रमण फैलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इस पर रिसर्च शुरू की। और गांव के नाम पर इसका नाम रखा गया। इस संक्रमण की चपेट में सबसे ज्यादा वह लोग आए जो पशुपालन से जुड़े थे। सिर्फ इंसान ही नहीं, इसके मामले पालतू जानवर जैसे- कुत्ते, बिल्ली, बकरी और घोड़े में भी मिले थे।
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15 सालों से निपाह वायरस पर किया रिसर्च
बंग्लादेश के प्रोफेसर लुबी ने बताया कि पिछले 15 सालों से निपाह वायरस पर रिसर्च किया है। उन्होंने बताया कि निपाह वायरस दक्षिण एशिया में पाए जाने वाले बड़े आकार वाले चमगादड़ के जरिए फैलता है। इस चमगादड़ को फ्रूट बैट कहते हैं क्योंकि यह फलों का रस चूसता है और ताड़ी को भोजन बनाता है। ये सबसे ज्यादा भारत में दक्षिण के राज्यों में फैले है। यही चमगादड़ निपाह वायरस को फैलाने का काम करते है। केरल में इनकी संख्या अधिक है। इसके अलावा भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में भी पाए जाते है।
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खतरा 40 से 75 फीसदी तक
WHO के मुताबिक, इसका संक्रमण बहुत ही घातक होता है। संक्रमण फैलने के बाद मरीजों की मौत का खतरा 40 से 75 फीसदी तक होता है। हालांकि, यह इस बात पर भी निर्भर होता है कि मरीज को कितनी जल्दी इलाज मुहैया कराया गया। अब तक इसकी कोई वैक्सीन नहीं तैयार हो पाई है, इसलिए मौजूदा दवाओं के जरिए इसके लक्षणों को कंट्रोल करने की कोशिश की जा जाती है।