New SEBI Chief: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नए अध्यक्ष के रूप में तुहिन कांत पांडे की नियुक्ति को मंजूरी मिल गई है। वह मौजूदा अध्यक्ष माधवी पुरी बुच का स्थान लेंगे। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने उनकी नियुक्ति पर अपनी स्वीकृति दी है और केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। पांडे का कार्यकाल तीन साल का होगा।
तुहिन कांत पांडे का लंबा प्रशासनिक अनुभव

बताते चले कि, 1987 बैच के प्रशासनिक अधिकारी तुहिन कांत पांडे फिलहाल वित्त मंत्रालय में सचिव के रूप में कार्यरत हैं। वह ओडिशा कैडर के आइएएस अधिकारी हैं और पहले भी विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। पांडे को नौ जनवरी को अरुणीश चावला की जगह वित्त सचिव नियुक्त किया गया था। इस पद पर उनकी नियुक्ति आम बजट से करीब तीन सप्ताह पहले की गई थी, और वित्त सचिव के रूप में उनका बजट बनाने में अहम योगदान होता है। इसके अलावा, पांडे के पास राजस्व सचिव का भी प्रभार है।
माधबी पुरी बुच का कार्यकाल समाप्त

वर्तमान सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच का कार्यकाल 28 फरवरी 2025 को समाप्त हो रहा है। उन्होंने दो मार्च 2022 को सेबी के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला था और तीन साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त हुईं।माधबी पुरी बुच सेबी की पहली महिला अध्यक्ष थीं और उन्होंने अजय त्यागी का स्थान लिया था। अजय त्यागी ने मार्च 2017 से फरवरी 2022 तक सेबी का नेतृत्व किया था। इससे पहले, यूके सिन्हा ने लगातार छह साल तक सेबी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था।
तुहिन कांत पांडे का शिक्षा और पूर्व कार्य अनुभव

तुहिन कांत पांडे ने ओडिशा राज्य वित्त निगम के कार्यकारी निदेशक और ओडिशा लघु उद्योग निगम के प्रबंध निदेशक के रूप में भी कार्य किया है। पांडे ने अपनी शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर (Postgraduate) की और फिर बर्मिंघम विश्वविद्यालय (यूके) से एमबीए की डिग्री प्राप्त की। पांडे का प्रशासनिक अनुभव और शैक्षिक पृष्ठभूमि उन्हें सेबी के अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका निभाने में मदद करेगा।
सेबी के समक्ष नई चुनौतियां

तुहिन कांत पांडे की नियुक्ति से सेबी को एक ऐसे अनुभवी नेतृत्व की प्राप्ति हुई है, जो भारतीय वित्तीय और पूंजी बाजारों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उनके पास प्रशासनिक अनुभव और वित्तीय क्षेत्र का गहरा ज्ञान है, जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि वे सेबी को और प्रभावी बनाएंगे। अब, उनके सामने सेबी को अधिक पारदर्शिता और दक्षता के साथ चलाने की चुनौती होगी, ताकि निवेशकों और वित्तीय बाजारों में विश्वास बना रहे।