Input-FATIMA
Lifestyle: जीवन का दूसरा नाम संघर्ष है। किसी व्यक्ति को न समय से पहले कुछ मिलता है और न समय के बाद। जो व्यक्ति मेहनत करने से कतराता नहींऔर बिना रुके बस काम करता रहता है वो ही अपनी मंजिल तक पहुंच पाता है। जो शक्स फल ही चिंता किए बिना बस मेहनत से काम करता है वो एक दिन कामयाब होता ही है। सफलता और विफलता जीवन के अंग है। जो शक्स विफलताओं से निराश होकर बैठ जाता है वो हार जाता है। लेकिन जो अपनी गलतियों से सीखता है, सुधार करता है और आगे बढ़ता है वो जीवन की जंग जीत जाता है।
सकारात्मक सोच रखें
हम सबने जीवन में कभी न कभी फेलियर का सामना किया ही होगा। बहुंत से लोग फेलियर से निराश हो कर हार मान लेते हैं और अपने सपनों को त्याग देतें हैं। लेकिन जो लोग उससे सबक लेकर आगे बढ़ते हैं वो जीवन में कुछ बड़ा कर दिखाते हैं। फेलियर कभी भी आपकी पर्सनालिटी को डिसाइड नहीं करता। जब हम प्रयास करते हैं तभी सफल या विफल होते हैं। यानि आपके अंदर प्रयास करने की क्षमता है और यही प्रयास यदि आप जारी रखती हैं, तो आपको एक न एक दिन सफलता जरूर प्राप्त होगी।
अपनी असफलताओं से सीख लें
हम सबको सपने देखने का अधिकार होता है। हम उन सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। लेकिन ये जरूरी नहीं है कि हमारे सारे प्रयास सफल हो जाएं। जब हम कुछ करने की कोशिश करते हैं तो हमारे सामने कई मुश्किलें आती हैं। इन मुश्किलों से लड़ कर ही हम अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं। अगर आप भी जीवन में हार का सामना कर रहे हैं, तो उससे डरने या घबराने की बजाय आगे की सोचें। ऐसे बहुत से उदाहरण हैंजो शुरुआत में पढ़ाई में कमज़ोर थे मगर आगे जाकर उन्होंने एक अच्छा पद प्राप्त किया, क्योंकि उन्होंने निरंतर प्रयास करना जारी रखा।
बुरी आदतों को अपनाने से बचें
फेलियर के बाद इतने निराश हो जाते हैं कि उन्हें उस गम को भूलने के लिए किसी चीज का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे में वो अक्सर बुरी आदतों का शिकार बन जाते हैं। स्मोकिंग, ड्रिंकिंग, रफ़ ड्राइविंग जैसी गतिविधियां करना शुरू कर देते हैं। इस तरह की गतिविधियां फेलियर के स्ट्रेस को कम करने की जगह इसे बढ़ा देती हैं। वहीं इसकी लत लग सकती है, जो न केवल आपके मानसिक स्वास्थ्य बल्कि आपकी शारीरिक सेहत के लिए भी हानिकारक होती है। ऐसा करने से आप अपनी मंजिल से भटक जाएंगे और हमेशा पीछे रह जाएंगे।
Read More: डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के निर्देश पर कासगंज सीएमओ पर गिरी गाज
आकलन करें कि कहां कमी रह गई
फेलियर के बाद अगर हम अपना समय खुद को सुधारने में लगाएंगे तो हम जल्द ही विफलता को सफलता में बदल पाएंगे। ऐसा करते के लिए ये जानना सबसे जरूरी है कि आखिर किन कमियों के कारण हम पिछले कार्य में विफल रहे थें। अपनी गलतियों का आकलन करें और इस पर कार्य करना शुरू करें, ताकि अगली बार जब आप कोशिश करें तो सफल होने की संभावना ज्यादा हो। तब हार न माने जब तक मंजिल न मिल जाएं, क्योंकि दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं जिससे मेहनत के जम पर हासिल न किया जा सकें। इसलिए निराश होने में समय बर्बाद न करें बल्कि उस गलती से सीख लें और आगे बढ़ें।
हताशा को खुद पर हावी न होने दें
हम जब भी किसी कार्य को करने में असफल हो जाते हैं तो हम खुद को इसका जिम्मेदार ठहराने लगते हैं और खुद को कमजोर समझने लगते हैं। जबकी हमे अपने मन को कभी हारने नहीं देना चाहिए। अगर आपको जीवन के किसी भी क्षेत्र में असफलता मिलती है तो उससे घबराएं नहीं बल्कि उसे एक चुनौती की तरह स्वीकार करें। खुद को किसी से कम न समझे और खुद को दूसरा मौका दें।