Shradh 2023: हिन्दू धर्म में पितृ- पक्ष का बहुत ही अहम महत्व हैं। शास्त्रों के अनुसार हर साल 15 दिन के लिए पितृ- पक्ष मनाया जाता हैं। इन दिनों श्राद्ध किया जाता हैं। ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान पूर्वज पृथ्वी पर सूक्ष्म रूप में आते हैं। इस दौरान लोग पूर्वज के लिए तर्पण करते हैं, जिसे स्वीकार करते हैं। ये सब करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है सात ही घर में सुख-शांति बनी रहती हैं।
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जाने कब होता हैं पितृ- पक्ष
पितृ- पक्ष के दौरान बहुत सारी चीजों का ध्यान रखते हैं। इस दौरान कुल देवताओं, पितरों और पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट की जाती है। हर साल पितृ- पक्ष 15 दिनों के लिए होता हैं। इन 15 दिनों में दौरान श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। वही इस साल पितृ- पक्ष की शुरुआत आज से हो चुकी हैं। आपको बता दे कि पितृपक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से ही शुरु होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। लेकिन आश्विन माह के कृष्ण पक्ष को ही पितृपक्ष कहा जाता है।
जाने कब किसका श्राद्ध किया जाता
ये तो सभी जानते हैं कि पितृ- पक्ष के दौरान श्राद्ध किया जाता हैं। लेकिन कई लोगों को यह नही पता होता हैं कि कब किसका श्राद्ध किया जाता है। बता दे कि भाद्रपद पूर्णिमा को उनका श्राद्ध किया जाता है, जिनका निधन वर्ष की किसी भी पूर्णिमा को हुआ हो। शास्त्रों में भाद्रपद पूर्णिमा के दिन देह त्यागने वालों का तर्पण आश्विन अमावस्या को करने की सलाह दी जाती है। वहीं वर्ष के किसी भी पक्ष में जिस तिथि को घर के पूर्वज का देहांत हुआ हो उनका श्राद्ध कर्म पितृपक्ष की उसी तिथि को करना चाहिए।
आज से शुरू हुए पितृ पक्ष
पितृ पक्ष की शुरुआत आज से हो चुकी हैं। जिसकी शुरुआत आज दोपहर 3 बजकर 26 मिनट से लेकर 30 सितंबर यानी कल दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक रहेगी। अनुष्ठानों का विशेष समय पितृ पक्ष का कुतुप मुहूर्त 29 सितंबर यानी आज दोपहर 11 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। साथ ही रौहिण मुहूर्त आज दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से दोपहर 1 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. अपराह्न काल आज दोपहर 1 बजकर 23 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
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जाने पितृ पक्ष में किस तरह जल अर्पित करें
पितृ- पक्ष के दौरान श्राद्ध किया जाता हैं। जिसमें कि पितरों को नियमित रूप से जल अर्पित किया जाता हैं। लेकिन जल अर्पित करने के भी कुछ नियम हैं जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए। आप जल दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके दोपहर के समय करें। जल में काला तिल मिलाया जाता है और हाथ में कुश रखा जाता है। जिस दिन पूर्वज की देहांत की तिथि होती है, उस दिन अन्न और वस्त्र का दान भी किया जाता है। उसी दिन किसी निर्धन को भोजन भी कराया जाता है। इसके बाद पितृपक्ष के कार्य समाप्त हो जाते हैं।
किस समय करे काम
हर एक काम का एक नियमत समय होता हैं जिस दौरान ही आपको ये सारे काम करने चाहिए। पितृ पक्ष तर्पण विधि प्रतिदिन सूर्योदय से पहले एक जूड़ी ले लें, और दक्षिणी मुखी होकर वह जूड़ी पीपल के वृक्ष के नीचे स्थापित करके, एक लोटे में थोड़ा गंगा जल, बाकी सादा जल भरकर लौटे में थोड़ा दूध, बूरा, काले तिल, जौ डालकर एक चम्मच से कुशा की जूडी पर 108 बार जल चढ़ाते रहें और प्रत्येक चम्मच जल पर यह मंत्र उच्चारण करते रहे।