Money Laundering Case: छत्तीसगढ़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पूर्व उप सचिव निलंबित सिविल सेवक सौम्या चौरसिया को सुपीम कोर्ट से झटका लगा है। सुपीम कोर्ट ने आज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद मुख्य आरोपिता सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। जास्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सौम्या चौरसिया की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी।
इसके साथ ही सुपीम कोर्ट ने गलत जानकारी देने पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। बता दें कि इससे पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद सौम्या चौरसिया ने सुपीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, हालांकि सौम्या चौरसिया को जमानत याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। बता दें कि सौम्या चौरसिया 2022 में कोयला घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग केस की आरोपी थी। भृष्टाचार में संलिप्तता होने के बाद चौरसिया को पद से निलंबित कर दिया गया था।
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हाईकोर्ट में हुई सुनवाई
छत्तीसगढ़ की जेल में बंद मनी लॉन्ड्रिग केस की आरोपिता सौम्या चौरसिया की मुश्किलें कम होने की नाम नही ले रही है। सौम्या चौरसिया के अधिवक्ताओं ने जमानत मांगते हुए तर्क प्रस्तुत किया था कि किसी भी मामले में उनकी सीधे तौर पर कोई संलिप्तता नही है। उनका किसी भी भृष्टाचार से कोई लेना- देना भी नही है। यह उन्हें और राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए ईडी ने किया है।
सौम्या चौरसिया के खिलाफ ई़डी ने कोल स्कैम और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में लगातार 10 दिनों तक सुनवाई चली थी। मामले की सुनवाई जस्टिस पी सेम कोसी की सिंगल बेंच में हुई थी। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। सौम्या चौरसिया को ईडी ने दो दिसंबर 2022 को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 15 दिसंबर को उन्हें निलंबित कर दिया गया था। कोर्ट की अगली सुनवाई में हाईकोर्ट में सौम्या की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
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क्या था “कोयला लेवी ‘घोटाला”
बता दें कि निलंबित सिविल सेवक सौम्या चौरसिया छत्तीसगढ़ की खदानों से कोयला परिवहन करने वाले कोयला और खनन ट्रांसपोर्टरों से अवैध लेवी वसूली और जबरन वसूली के आरोप लगे थे। ईडी की जांच के अनुसार बडें पैमाने पर घोटाले का खुलासा हुआ था। ई़डी के अनुसार प्रति टन कोयले की अवैध उगाही शमिल थी। जिसकी धनराशि 16 महीने के भीतर कथित तौर पर 500 करोड़ रुपये पहुंच गई थी। जांच एजेंसी ने दावा किया था कि इस पैसे का इस्तेमाल कथित तौर चुनावी फंडिंग और रिश्वत के लिए किया जा रहा है।
प्रवर्तन निदेशालय ने भी कहा कि अवैध वसूली के माध्यम से एकत्र किए गए धन का उपयोग विधायकों द्वारा चुनाव-संबंधी खर्चों और चौरसिया, कोयला माफिया सरगना सूर्यकांत तिवारी और अन्य उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारियों द्वारा ‘बेनामी संपत्ति’ के अधिग्रहण के लिए किया गया था।
13 जनवरी को छत्तीसगढ़, दिल्ली और पुणें में ने सिरे से छापेमारी की थी। इस छापेमारी के दौरान ई़डी ने 4 लोगो को गिरफ्तार किया था। ईडी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगो में दीपेश टांक, जो सौम्या चौरसिया के करीबी और विश्वास पात्र था। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यालय में उप सचिव सौम्या चौरसिया इस मामले में आरोपी है। धन शोधन का मामला आयकर विभाग की उस शिकायत के बाद सामने आया। इस मामले में पिछले साल चौरसिया, राज्य के एक आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई और कुछ कारोबारियों को गिरफ्तार किया गया था।