गाजियाबाद- प्रवीन मिश्रा
गाजियाबाद: लगभग 100 साल पहले की नगर निगम की जमीन को अब खाली कराने के लिए पुर जोर और तैजी दिखा रहा है। वही आज मेयर सुनीता दयाल और नगर आयुक्त डॉ नितिन गौर ने प्रेस वार्ता करते हुए मुस्लिम बहुल क्षेत्र कैला भट्टा थाना कोतवाली शहर में लगभग 100 साल पुराना फ्लाह दारेन मदरसा है। जहा पर समय समय पर पोलिंग बूथ भी बनाए जाते है और यहां मदरसा और 8 वी कक्षा तक स्कूल है। इसपर अपना दावा किया है। जहा पर एक कमेटी द्वारा इसको जनता की मदद से संचालित किया जा रहा है। वही आज नगर निगम के द्वारा इस जमीन को अपना बताकर कार्रवाई करने की बात की जा रही है जहां एक तरफ लगभग 10 बीघा भूमि यहां स्तिथ है वही नगर निगम के अलावा भी रेलवे बोर्ड ने यहां पर अपनी जमीन होने का दावा किया है जिसका नोटिस भी इस मदद से को संचालित कर रहे प्रबंधक को मिला है।
सुनीता दयाल मेयर ने कहा
इस पूरे प्रकरण में शिकायतकर्ता फारुख चौधरी से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यहां पर कुछ लोगों का मदरसे पर अवैध कब्जा है जिसको लेकर मुख्यमंत्री नगर निगम में शिकायत की गई है और जल्द ही नगर निगम के द्वारा कार्रवाई की जाएगी मगर धरातल पर देखा गया तो इस पूरी जमीन पर स्कूल और मदरसा के कमेटी मदरसा के अध्यक्ष ही फारुख चौधरी ही है।
फारुख चौधरी ने कहा
वही जब इस मामले में शिकायतकर्ता के द्वारा हाजी खलील पर आरोप लगाए गए थे जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि फारुख चौधरी ही इस मदरसा और इस स्कूल के अध्यक्ष है और उनके द्वारा ही लगातार इस जमीन पर अपना कब्जा बताया जा रहा है। हालांकि हाजी खरीदने बताया कि उनके पुश्तैनी जमीन यहां पर लगभग 750 गज है। जिसको लेकर वह यहां पर अपना आना-जाना करते हैं बाकी संरक्षक के तौर पर वह इस कमेटी के सदस्य हैं। फारुख चौधरी की गलत नीयत के चलते हुए उन्होंने इसका विरोध किया इसलिए फारुख चौधरी उनकी शिकायत कर रहे हैं और उन पर गलत आरोप लगा रहे हैं।
हाजी खलील पूर्व पार्षद ने कहा
लगभग तीन बार से मदरसे की एरिया के पार्षद रहे जाकिर सैफी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पूरा मामला रंगदारी का है पार्षद के द्वारा जनता की सुविधा अनुसार ट्यूबवेल लगाई जा रही है। जिस पर फारुख चौधरी के द्वारा उनसे अपनी जमीन का हवाला देते हुए एक लाख रुपए रिश्वत मांगी गई। जिसको देने से जाकिर सैफी के द्वारा मना किया गया और यही वजह है कि फारुख चौधरी जाकिर सैफी का नाम ले रहे हैं। वहीं मौके पर जाकर जब हमने धरातल पर देखा तो वहां पर 28 लख रुपए की लागत से एक ट्यूबवेल का कार्य चल रहा था।
वहीं उसके नजदीक में ही सन 2002 में मेयर रहे दिनेश चंद्र गर्ग के द्वारा एक नेम प्लेट लगी हुई। ट्यूबवेल का भी उद्घाटन किया गया मौके पर जाकिर सैफी से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह ट्यूबवेल अब खराब हो चुकी है। इसको लेकर पिछले साल 28 लाख रुपए की लागत से नगर निगम की कार्यकारिणी में बजट पास कराया था। जो कार्य जमीन पर चल रहा था इस जमीन पर कार्य रुकवाने के लिए कई बार फारुख चौधरी के द्वारा ₹1 लाख की रंगदारी मांगी गई। जाकिर सैफी के द्वारा साफ मना करने पर उन पर मनगढ़ंत यह आरोप लगाए जा रहे हैं।
जाकिर सैफी पूर्व पार्षद ने कहा
फाइनल/दसवीं के जमीन को लेकर नगर निगम का जो दावा किया जा रहा है। इस जमीन पर पहले भी रेलवे अपनी जमीन का दावा कर चुका है ऐसे में हाजी खलील के द्वारा 750 गज जमीन अपनी बताना और फारूक चौधरी का पूरी जमीन पर अपना कब्जा होना एक अलग दिशा दे रहा है। ऐसे में प्रतीत होता है कि आखिर यह जमीन किसकी है। अगर यह जमीन नगर निगम की है तो अब तक नगर निगम कहां सो रहा था हालांकि 100 सालों में नगर निगम ने अब अपनी जमीन पर दावा किया है।
इससे पहले सिर्फ रेलवे ने ही 3 बार नोटिस देकर कई सालों से अपना इस जमीन पर दावा ठोका है। अब ऐसे में देखना होगा कि क्या नगर निगम और रेलवे अधिकारी आमने-सामने होंगे यह जमीन किसकी होगी और किसके दस्तावेज सच्चे हैं। यह वक्त ही बताया हालांकि मदरसे को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है क्योंकि कैला भट्टा इस्लामनगर मुस्लिम बहुत क्षेत्र है। संवेदनशील एरिया है और ऐसे में एक समुदाय के लोग भारी संख्या में वहां पर रहते हैं तो नगर निगम को भी सोचना पड़ेगा की कोई ऐसा रास्ता निकाला जाए ताकि किसी की भावनाएं आहत न हो क्योंकि मदरसा और मस्जिद दोनों ही इसी जगह पर है।