Swami Prasad Maurya News : स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर अपने बयान के वजह से सुर्खियों में है, लगतार अपने अभद्र टिप्पणी की वजह से स्वामी प्रसाद मौर्य सुर्खियों में रहते है। जहां उन्होनें एक बार फिर से विवादित बयान दिया। बता दें कि नहर कॉलोनी में संविधान जागरूकता समारोह राष्ट्रीय बौद्ध महोत्सव कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने पहुंचे स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बयान दिया जिसमें उन्होनें कहा कि स्वामी प्रसाद बोले-भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा ड्रामा हुआ
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कहा-अगर भगवान है तो उनकी प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाए परिवार के मुर्दों की प्राण प्रतिष्ठा करें दोबारा जिंदा होंगे , इसके साथ उन्होनें आगे कहा कि जनवरी में अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होगी। अब यहां आंख में धूल झोंका जा रहा है।भगवान राम को हजारों-लाखों साल से पूजा जाता हैं। करोड़ों-करोड़ों लोगों के आराध्य हैं, सभी उनको भगवान मानते हैं, जिनके करोड़ों चाहने वाले हैं और हजारों साल से उन्हें पूजा जा रहा है अब उसकी प्राण प्रतिष्ठा की नौटंकी क्यों? भगवान राम से बड़े हो गए क्या? यह धर्म नहीं है, यह यहां के एक चतुर वर्ग के लोगों का धंधा है।
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स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि..
बता दें कि अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि बस धर्म के नाम पर उनका धंधा चलता रहे, वह किसी को भी धोखा दे सकते हैं और ये जनवरी में होने जा रहा है, ऐसे समय सबसे ज्यादा दलित और पिछड़े पागल होकर भागते हैं, मैं उन्हें सावधान कर देना चाहता हूं। वहीं उन्होंने साधु-संतों द्वारा दी जा रही धमकी पर आगे स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा की अभी देखा मुझे दो दर्जन लोगों ने धमकी दिया, किसी ने सिर कलम करने की, किसी ने गोली मारने की, किसी ने जीभ काटने की तो किसी ने हाथ नाक काटने के लिए 51 करोड़ का इनाम रखा, किसी ने 25 करोड़ का इनाम रखा, ये लोग साधु संत भेष में खूंखार भेड़िए हैं, जिनका आतंकवादी चेहरा सामने आया है।
हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष है- मौर्या
जिसके बाद उन्होनें उत्तर प्रदेश के कारागार राज्यमंत्री धर्मवीर प्रजापति के जेल में हनुमान चालीसा का पाठ कराए जाने के बयान पर तंज कसते हुए कहा कि ऐसा कहने वाले लोग शायद मंत्री पद की शपथ भूल गए हैं। वहीं उन्होनें आगे कहा कि हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष है, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी सभी संविधान के सामने बराबर हैं, इसके साथ किसी भी सरकारी संस्थान में किसी धर्म विशेष का कोई भी कार्यक्रम किया जाना यह सांप्रदायिक हिंसा है। वहीं संविधान की शपथ लेने वाला मंत्री अगर कहता है तो महा पाप है, ऐसे लोगों से बचना चाहिए।