Bareilly News: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (All India Muslim Jamaat) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी (Shahabuddin Razvi) ने पीओके (POK) में जारी विरोध प्रदर्शनों पर पाकिस्तान की नीतियों की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि पीओके में रोजाना धरना प्रदर्शन हो रहे हैं और पाकिस्तानी सेना प्रमुख और कट्टरपंथी नेता इसमें भारत का हाथ बता रहे हैं। मौलाना रजवी ने कहा कि पाकिस्तानी नेता ऐसे आरोप लगाकर अपनी नाकामियों को छिपा रहे हैं।
शहाबुद्दीन रज़वी, जिन्हें मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी के नाम से जाना जाता है। एक भारतीय इस्लामी विद्वान, ऐतिहासिक लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह पिछले दस सालों से पसमांदा मुद्दों पर काम कर रहे हैं।
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अंतरराष्ट्रीय शायर पर गिरफ्तारी वारंट
हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय शायर को आतंकवादी घोषित किए जाने के बाद इस्लामाबाद हाईकोर्ट (Islamabad High Court) ने उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था। अदालत ने पाकिस्तानी सरकार को तुरंत गिरफ्तारी का आदेश दिया। हालांकि, कोर्ट में पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि पीओके विदेशी क्षेत्र है और हम वहां गिरफ्तारी नहीं कर सकते। इस पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif), नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) और विपक्षी नेता चुप्पी साधे हुए हैं।
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पीओके की जनता की गुहार
मौलाना रजवी ने कहा कि पाकिस्तानी नेताओं की खामोशी यह दर्शाती है कि उन्होंने मान लिया है कि पीओके भारत का हिस्सा है। पीओके (POK) की जनता अब भारत का रास्ता खोलने की मांग कर रही है और भारत का अंग बनकर रहना चाहती है।
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पाकिस्तानी फौज और कट्टरपंथियों की साजिश
रजवी ने कहा कि पीओके में हो रहे धरना प्रदर्शन के पीछे पाकिस्तानी फौज के जनरल असीम मुनीर (Asim Munir) और कट्टरपंथी नेता मौलाना फजलुर रहमान भारत का हाथ बता रहे हैं। उनका दावा है कि भारत सरकार पीओके के लोगों को भड़का रही है। जबकि सच्चाई यह है कि इन प्रदर्शनों से भारत का कोई लेना-देना नहीं है। पाकिस्तान सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए भारत पर आरोप लगा रही है, लेकिन पूरी दुनिया पीओके की सच्चाई देख और समझ रही है।
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फौज के अत्याचार की निंदा
मौलाना रजवी ने कहा कि पीओके (POK) के मुसलमान अपने अधिकारों, फौज के जुल्म और महंगाई के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। इन निहत्थे लोगों पर पाकिस्तानी फौज का गोली चलाना घोर निंदनीय है। उन्होंने कहा कि इस्लाम किसी भी तरह के अत्याचार की इजाजत नहीं देता है। यह अंतरराष्ट्रीय कानून और शरीयत (Shariat) दोनों के खिलाफ है।