Manipur Violence: मणिपुर में हालिया जातीय हिंसा ने भयावह रूप ले लिया है। एक शिक्षिका के साथ हुए अत्याचार ने निर्भया कांड की बर्बरता को फिर से याद दिला दिया है। राज्य के जिरीबाम जिले में इस दर्दनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। बताया जा रहा है कि शिक्षिका के साथ न केवल बलात्कार हुआ, बल्कि उसे जिंदा जलाने से पहले उसके शरीर पर कीलें ठोकी गईं। यह मणिपुर में जारी जातीय हिंसा का सबसे अमानवीय चेहरा है।
जातीय हिंसा ने ली निर्दोष महिला की जान
इस हिंसा की आग में हमार समुदाय की एक महिला शिक्षिका की जान चली गई। बताया जा रहा है कि शिक्षिका को जातीय रूप से बड़े कुकी-जो समुदाय से जोड़ा गया था। शिक्षिका तीन बच्चों की मां थी और अपने समुदाय की एक सम्मानित व्यक्ति थीं। उनके शव के अवशेष उनके ही घर से बरामद हुए हैं, जिन्हें हमलावरों ने पहले बलात्कार का शिकार बनाया और फिर जला दिया।
पूरी तरह से जल गया शरीर, पहचान करा मुश्किल मुश्किल
असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने बताया कि शिक्षिका के शव के अधिकांश हिस्से इतनी बुरी तरह जल गए थे कि पहचान पाना मुश्किल था। उनके पति ने दावा किया कि हमलावरों ने उसे पहले गोली मारी और फिर जिंदा जलाया। इसके चलते मेडिकल टीम शरीर से सैंपल तक नहीं ले सकी। डॉक्टरों के अनुसार, अत्यधिक जलने के कारण किसी भी प्रकार की माइक्रोस्कोपिक जांच नहीं की जा सकी, जिससे बलात्कार के साक्ष्य भी नहीं जुटाए जा सके।
हमले में शामिल है अरामबाई तेंगगोल समूह
पीड़ित महिला जैरावन गांव की रहने वाली थी। उस रात ज़ैरावन में और भी 17 घरों में लूटपाट करने और आग लगाने जैसी घटना को उन अपराधियों ने अंजाम दिया। घटना के कुछ समय बाद, पीड़िता के पति ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जिसमें उन्होंने अरामबाई तेंगगोल नामक मैतेई समुदाय से जुड़े सशस्त्र समूह के सदस्यों पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि इसी समूह के सदस्यों ने उनकी पत्नी के साथ बलात्कार किया, गोली मारी और फिर उसे जिंदा जला दिया। वहीं, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पीड़िता की बाईं जांघ में पांच सेंटीमीटर लंबी कील ठोंकी गई थी।
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पूरा शरीर जल जाने के वजह से नहीं मिला सीमन
डॉक्टर्स ने बताया कि महिला का शरीर बुरी तरह से जल चुका था जिस कारणवश उसके प्राइवेट पार्ट से सीमन एकत्र करने की संभावना पूरी तरह से खत्म हो गई थी। कुकी-ज़ो संगठनों ने महिला की निर्मम हत्या की कड़ी निंदा की है और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा हत्यारों की पहचान न कर पाने पर गुस्सा व्यक्त किया है। फ़ेरज़ावल और जिरीबाम की स्वदेशी जनजाति वकालत समिति ने आदिवासी बहुल जिलों के कुकी-ज़ोमी-हमार समुदायों की सुरक्षा को लेकर केंद्रीय हस्तक्षेप की मांग की है। चुराचांदपुर के आदिवासी समुदायों के एक समूह ने स्वदेशी आदिवासी नेताओं के मंच से चेतावनी दी है कि यदि हमलावरों को गिरफ्तार नहीं किया गया तो परिणाम गंभीर होंगे।
मणिपुर में बढ़ाई गई सुरक्षा
घटना के बाद मणिपुर की स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है। 13 नागरिक संगठनों ने इंफाल घाटी में पूर्ण बंद का आह्वान किया, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। इसके चलते राज्य में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस एवं सुरक्षाबल लगातार निगरानी बनाए हुए हैं।
जातीय संघर्ष से मणिपुर जल रहा है
मणिपुर में लंबे समय से चली आ रही जातीय हिंसा अब विकराल रूप ले चुकी है। कुकी और मैतेई समुदाय के बीच का संघर्ष इतना तीव्र हो चुका है कि हर दिन नई-नई घटनाओं से राज्य दहल रहा है। निर्दोष महिलाओं और बच्चों को भी इस भयावह हिंसा का शिकार बनना पड़ रहा है। जिरीबाम और अन्य क्षेत्रों में आगजनी और लूटपाट की घटनाएं आम हो गई हैं।
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