Manipur Violence Latest News: मणिपुर में हालात बेकाबू हो गए हैं और हाल ही में हिंसा की लहर ने राज्य को एक बार फिर से प्रभावित किया है। इस हिंसा की शुरुआत तब हुई जब जिरीबाम क्षेत्र में एक ही परिवार की तीन महिलाओं और तीन बच्चों के शव असम-मणिपुर सीमा पर पाए गए। यह घटना मंगलवार, 12 नवंबर 2024 को घटी, जब इन लोगों का अपहरण कर लिया गया था। आरोप है कि कुकी उग्रवादियों ने इन लोगों का अपहरण किया था। इस नृशंस हत्या के बाद राज्य में तनाव बढ़ गया और मैतेई समुदाय के लोग सड़क पर उतर आए, जहां उन्होंने हिंसक प्रदर्शन किए।
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केंद्र सरकार ने लिया एक्शन
मणिपुर में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार तुरंत एक्शन में आ गई है। डीजी सीआरपीएफ अनीश दयाल को मणिपुर भेजा गया है, जहां वे कानून व्यवस्था की समीक्षा करेंगे। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र में अपनी सभी रैलियां रद्द कर दी हैं और नागपुर से दिल्ली लौट आए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री और राज्य सरकार की ओर से स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है और सुरक्षा बलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे राज्य में शांति कायम करने के लिए जरूरी कदम उठाएं।
कर्फ्यू का ऐलान
राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों और राज्य पुलिस ने नई रणनीति अपनाई है। मणिपुर के कुछ इलाकों में जहां पहले कर्फ्यू में ढील दी गई थी, अब वहां फिर से कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। इसके अलावा, कुछ इलाकों में इंटरनेट सेवा भी निलंबित कर दी गई है ताकि हिंसा और अफवाहों को फैलने से रोका जा सके। बिश्नुपुर, इंफाल और जीरिबीम जैसे इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां तनाव की स्थिति बनी हुई है।
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मैतेई समुदाय का गुस्सा
शनिवार, 16 नवंबर 2024 को मणिपुर में गुस्साए मैतेई समुदाय के लोगों ने राज्य के तीन मंत्रियों और छह विधायकों के घरों पर हमला किया और तोड़फोड़ की। इसके बाद, भीड़ ने मणिपुर के मुख्यमंत्री के घर पर भी धावा बोलने की कोशिश की। इस हिंसा के बाद, मैतेई समुदाय के नागरिक अधिकार समूहों ने सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। उनका कहना है कि यदि सरकार और प्रशासन ने सशस्त्र उग्रवादी समूहों के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए, तो वे और कड़ा विरोध करेंगे।
सिविल सोसाइटी समूहों का अल्टीमेटम
मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति (COCOMI) के प्रवक्ता खुरैजम अथौबा ने एक बयान में कहा कि राज्य सरकार को जल्द से जल्द निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह इस संकट को हल करने के लिए सभी राजनीतिक दलों और प्रतिनिधियों के साथ मिलकर एक ठोस रणनीति तैयार करे। यदि सरकार ने इस मुद्दे पर संतोषजनक कदम नहीं उठाए, तो उन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।