Mahua Moitra Expulsion: कैश फॉर क्वैरी केस में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। संसद सदस्यता रद्द होने पर महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए लोकसभा महासचिव से इस मामले पर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए थे। वहीं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अब अगली सुनवाई 11 मार्च को करने वाली है। इसके बाद महुआ मोइत्रा को दिल्ली हाईकोर्ट से भी निराशा मिली थी।
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16 जनवरी तक इस नोटिस का जवाब देना

बता दे कि महुआ मोइत्रा ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। याचिका में 7 जनवरी तक घर को खाली करने के लिए नोटिस को हटाने के लिए दिशा -निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। जिस पर अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि उन्हें 7 जनवरी से आगे अपने सरकारी आवास को बनाए रखने के लिए इस संबंध में अनुमति देने वाले निकाय से संपर्क करना चाहिए। जिसके बाद अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि वह मोइत्रा को कानून के अनुसार ही बेदखल करने के लिए कदम उठाएं। अदालत ने मोइत्रा को अपनी याचिका वापस लेने की भी अनुमति दी थी।
वहीं अब टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को शहरी विकास मंत्रालय ने गुरुवार (11 जनवरी) को सरकारी आवास खाली करने के लिए दूसरा नोटिस दिया है। महुआ मोइत्रा को 16 जनवरी तक इस नोटिस का जवाब देना है।
एस्टेट्स के निदेशालय को समाप्त करने के लिए कहा..
आपको बता दे कि एस्टेट निदेशालय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाला एक विभाग है जो कि आवास के अलावा केंद्र सरकार के सम्पदा का प्रशासन और प्रबंधन करता है। महुआ मोत्रा ने अदालत से 11 दिसंबर को एस्टेट्स के निदेशालय को समाप्त करने के लिए कहा था। उन्होंने अदालत से आग्रह किया था कि वह सरकारी निकाय को दिशा-निर्देश दे कि वह 2024 के आम चुनावों के परिणाम घोषित होने तक सदन को बनाए रखे।
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