Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि 2025 इस बार बेहद खास मानी जा रही है। इस दिन सूर्य, बुध और शनि एक साथ कुंभ राशि में स्थित रहेंगे। यह दुर्लभ ग्रह युति करीब 149 साल बाद बन रही है। इस योग के साथ महाशिवरात्रि का संयोग भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।
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ग्रहों के दुर्लभ योग में शिव पूजा से मिल सकता है विशेष लाभ

ग्रहों के इस दुर्लभ योग में शिव पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस योग में की गई पूजा से कुंडली में मौजूद ग्रह दोष भी शांत हो सकते हैं। इसलिए इस महाशिवरात्रि पर विशेष साधना और पूजा का महत्व बढ़ जाता है।
शुक्र और राहु का शुभ योग
महाशिवरात्रि पर शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा, और साथ ही राहु भी उसी राशि में होगा, जो एक शुभ योग को दर्शाता है। इसके अलावा, सूर्य और शनि कुंभ राशि में स्थित होंगे। सूर्य, जो शनि के पिता माने जाते हैं, अपने पुत्र शनि के घर में होंगे। यह एक विशेष संयोग है जो भक्तों को पूजा के दौरान सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करेगा।
149 साल बाद बन रहा है यह संयोग

यह ग्रहों का विशेष संयोग 149 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 1965 में सूर्य, बुध और शनि की युति महाशिवरात्रि पर बनी थी। इस दिन बुधवार को महाशिवरात्रि मनाई गई थी। अब फिर से यह योग इस साल 2025 में बन रहा है, जिससे पूजा का महत्व और बढ़ जाता है।
महाशिवरात्रि पर विशेष ग्रह और नक्षत्र का संयोग
इस साल की महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की 26 फरवरी को है, जो धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि के चंद्रमा के साथ आ रही है। इस समय सभी ग्रह और नक्षत्र इस प्रकार के विशेष योग में स्थित होंगे जो इस दिन की पूजा को अत्यधिक फलदायी बनाएंगे।
साधना और उपासना के लिए विशेष प्रकार का योग

इस प्रबल योग के दौरान की गई साधना और उपासना से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और धार्मिक सफलता मिल सकती है। सूर्य और बुध का केंद्र त्रिकोण योग विशेष लाभ प्रदान करता है, जो प्रतिष्ठा और पराक्रम को बढ़ाने में सहायक है। महाशिवरात्रि पर सूर्य, बुध और शनि की दुर्लभ युति भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति, ग्रह दोष शांति और विशेष आशीर्वाद का संकेत है। इस दिन को और भी खास बनाते हुए, भक्तों को इस योग का पूरा लाभ उठाने के लिए विशेष पूजा और साधना करनी चाहिए।
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