Who is tanaji sawant: महाराष्ट्र की सियासत में चुनावी समर के पहले हर दिन नए विवाद सामने आ रहे हैं। इस बीच, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और शिंदे गुट के प्रमुख नेता तानाजी सावंत (Tanaji Sawant) ने डिप्टी सीएम अजित पवार पर तीखा हमला किया है। सावंत ने आरोप लगाया है कि उनके विचार पूरी तरह से अलग हैं और उनके साथ बैठने से ही तबियत खराब हो जाती है। सावंत ने कहा, “हम दोनों के विचार बिल्कुल अलग हैं। कैबिनेट मीटिंग के बाद जब मैं बाहर आता हूं, तो उल्टियां होने लगती हैं। यह हकीकत है क्योंकि विचार एक दिन में नहीं बदल सकते।”
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सावंत ने की टिप्पणी
तानाजी सावंत ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि वह कट्टर शिवसैनिक हैं और कभी भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के साथ काम नहीं कर सकते। सावंत ने यह स्पष्ट किया कि उनकी और अजित पवार की विचारधारा में गहरा अंतर है, और यह अंतर उनकी सेहत पर भी प्रभाव डालता है। “हम दोनों के विचार कभी मेल नहीं खा सकते, और इसलिए हम दोनों के बीच सहयोग की संभावना भी खत्म हो जाती है,” उन्होंने कहा।
सावंत के बयान पर उठे सवाल
तानाजी सावंत के बयान के बाद एनसीपी ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। एनसीपी के नेता अमोल मिटकरी ने कहा कि गठबंधन धर्म का पालन करने का ठेका केवल उनके पास नहीं है। उन्होंने कहा, “तानाजी सावंत का बयान गठबंधन में नमक डालने का प्रयास है। यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी नितेश राणे, निलेश राणे और सदाभाऊ खोत ने इसी तरह की टिप्पणियां की हैं। एनसीपी इसका जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।”
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शरद पवार गुट ने लगाया आरोप
वहीं, शरद पवार गुट ने भी इस विवाद पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि तानाजी सावंत ने जानबूझकर अजित पवार को अपमानित करने की कोशिश की है। शरद पवार गुट के प्रवक्ता महेश तपासे ने कहा, “तानाजी सावंत के बयान से स्पष्ट होता है कि यह जानबूझकर किया गया षड्यंत्र है। ऐसा लगता है कि शिंदे या बीजेपी के कहने पर इस तरह की टिप्पणियां की गई हैं।”
बढ़ी सियासी गहमागहमी
महाराष्ट्र में विधान सभा चुनाव की नजदीकियों के साथ सियासी माहौल गरमाया हुआ है। तानाजी सावंत की टिप्पणियों से साफ है कि शिंदे गुट और एनसीपी के बीच गठबंधन में खटास आ गई है। सावंत की आलोचनात्मक टिप्पणी न केवल राजनीतिक तापमान बढ़ा रही है बल्कि इससे आगामी चुनावों की रणनीतियों पर भी असर पड़ सकता है। एनसीपी और शरद पवार गुट के जवाबी हमले यह संकेत देते हैं कि सियासी लड़ाई केवल चुनावी आंकड़े तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें व्यक्तिगत अपमान और मतभेद भी शामिल हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सियासी नाटक के अगले अध्याय में क्या नया मोड़ आता है और यह गठबंधन किस दिशा में आगे बढ़ता है।
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