Shriniwas Vanga Missing: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का पारा चढ़ता जा रहा है, खासकर पालघर विधानसभा क्षेत्र में जहां शिवसेना के शिंदे गुट से मौजूदा विधायक श्रीनिवास वनगा (Shriniwas Vanga) का टिकट काट दिया गया। महायुति में शिवसेना ने इस सीट से राजेंद्र गावित की उम्मीदवारी की घोषणा की, जिससे नाराज श्रीनिवास वनगा सोमवार शाम से लापता हो गए हैं। उनकी पत्नी का कहना है कि वनगा के मन में आत्महत्या के ख्याल आने लगे थे और उनका फोन भी लगातार बंद है।
श्रीनिवास वनगा का छलका दर्द: ‘ऐसा लग रहा कि सुसाइड कर लूं’
राजेंद्र गावित की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद श्रीनिवास वनगा ने भावुक होकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलकर अपनी निराशा जाहिर की थी। उन्होंने कहा था, “ऐसा लग रहा सुसाइड कर लूं।” सोमवार शाम के बाद से वनगा का परिवार उनसे संपर्क नहीं कर पा रहा है, जिससे उनकी पत्नी और परिवार बेहद चिंतित हैं। बताया जा रहा है कि वनगा का फोन पिछले 12 घंटों से बंद है। उनकी पत्नी ने कहा कि वनगा बिना बताए घर से निकले और तब से लापता हैं।
लंबे समय से थी तनाव की स्थिति
श्रीनिवास वनगा (Shriniwas Vanga) की पत्नी सुमन वनगा के मुताबिक, उनके पति पिछले कुछ दिनों से तनाव में थे। सोमवार शाम करीब 7:30 बजे वे घर से निकले और उसके बाद से कोई संपर्क नहीं हुआ। सुमन ने कहा, “वे कह रहे थे कि मेरे जीवन का कोई अर्थ नहीं बचा है।” जब परिवार उनसे संपर्क करने में असमर्थ हुआ, तो पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई गई। पुलिस वनगा की तलाश में जुट गई है, जबकि उनके घर के बाहर समर्थकों और पुलिस बल की भीड़ जमा हो गई है।
उद्धव ठाकरे के गुट को छोड़ने का था मलाल
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान श्रीनिवास वनगा बेहद भावुक हो गए थे। उन्होंने कहा कि उन्हें उद्धव ठाकरे की पार्टी छोड़ने का अफसोस है और वे शिवसेना से निष्ठावान रहे हैं। उन्होंने सीएम एकनाथ शिंदे पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने वफादार सदस्यों की अनदेखी की है और उनकी वफादारी का आदर नहीं किया।
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शिंदे ने दिया था आश्वासन
श्रीनिवास वनगा की पत्नी ने बताया कि मुख्यमंत्री शिंदे ने खुद उनसे वादा किया था कि उन्हें पालघर या दहानू से उम्मीदवार बनाएंगे। बावजूद इसके, उन्हें टिकट नहीं दिया गया और राजेंद्र गावित को प्राथमिकता मिली। वनगा को इस बात का खासा दुख है, क्योंकि उन्हें बार-बार चुनावी दौड़ से बाहर किया गया है। शिंदे ने वनगा को विधान परिषद भेजने का आश्वासन दिया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी न मिलना उन्हें गहरा आघात दे गया।
पालघर में वनगा के समर्थकों में नाराजगी का माहौल
श्रीनिवास वनगा के लापता होने की खबर ने उनके समर्थकों में भी गुस्सा भर दिया है। वनगा ने पहले भी पार्टी के बागी नेताओं को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी, खासकर जून 2022 के विद्रोह के समय। 2018 में लोकसभा उपचुनाव के दौरान भी उनसे कहा गया था कि वे सीट छोड़ दें। कई बार उन्होंने पार्टी के लिए कुर्बानियां दीं, लेकिन इस बार उन्हें विधानसभा टिकट न मिलना उनके लिए बेहद कठिन साबित हुआ।
शिवसेना के लिए नए चुनावी संकट का संकेत
पालघर की राजनीति में वनगा का नाम एक प्रमुख चेहरा रहा है। ऐसे में उनकी नाराजगी और लापता होना शिवसेना के लिए एक नए संकट का संकेत है। पार्टी के भीतर टिकट वितरण को लेकर असंतोष बढ़ रहा है और इससे चुनावी समीकरणों पर भी असर पड़ सकता है। वनगा के समर्थक उनके साथ खड़े हैं, जबकि शिवसेना के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं। वनगा के लापता होने के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और उनके घर के बाहर सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं। परिवार और समर्थक वनगा की सलामती की दुआ कर रहे हैं। हालांकि, राजनीति के इस जटिल मोड़ पर शिवसेना को कैसे इस संकट का समाधान निकालना होगा, यह देखना अहम रहेगा।