Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अब गिने-चुने दिन शेष हैं, और सभी प्रमुख पार्टियां जीत हासिल करने के लिए जी-जान से मेहनत कर रही हैं। प्रत्याशियों के नामांकन के बाद महा विकास आघाड़ी (MVA) और महायुति दोनों खेमों को अपने ही बागी उम्मीदवारों से हार का खतरा सताने लगा है। दोनों ही गठबंधन इस कोशिश में जुटे हैं कि बागियों को मनाकर पार्टी लाइन पर वापस लाया जाए ताकि उनके संभावित वोट काटने का जोखिम कम हो सके।
कई बड़े बागियों ने वापस लिया नामांकन
नामांकन वापसी के आखिरी दिन भाजपा ने एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला, जिससे पार्टी को राहत की सांस मिली है। भाजपा के तीन प्रमुख बागियों ने अपने नामांकन वापस ले लिए, जिससे पार्टी को संभावित नुकसान से बचाने का प्रयास किया गया। इनमें से एक प्रमुख चेहरा पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी हैं, जिन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का फैसला किया है।
भाजपा को मिली राहत
भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी ने टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय के रूप में मुंबई की बोरीवली विधानसभा सीट से नामांकन भरा था। उनकी बगावत से भाजपा के गढ़ में कमजोरी का संकेत मिल रहा था। शेट्टी ने 2014 और 2019 के आम चुनावों में मुंबई उत्तर लोकसभा सीट से शानदार जीत दर्ज की थी, लेकिन 2024 के चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला। उनकी सीट इस बार केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जीती।
भाजपा ने बोरीवली सीट से संजय उपाध्याय को उम्मीदवार बनाया है। शेट्टी को नामांकन वापस लेने के लिए राजी करने में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े की भूमिका अहम रही। उनके इस कदम से पार्टी को राहत मिली और अब भाजपा को उम्मीद है कि पार्टी एकजुट होकर इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखेगी।
स्वीकृति शर्मा ने भी लिया नामांकन वापस
अंधेरी ईस्ट सीट से भाजपा के सहयोगी शिवसेना (शिंदे गुट) को भी राहत मिली है, जहां बागी उम्मीदवार स्वीकृति शर्मा ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है। स्वीकृति एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की पत्नी हैं और उन्होंने शिंदे गुट के प्रत्याशी मुरजी पटेल को चुनौती दी थी। हाल ही में एक रैली में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने खुद स्वीकृति को मनाने का प्रयास किया था। उन्होंने उन्हें भरोसा दिलाया कि पार्टी उनके योगदान को सम्मानित करेगी और उन्हें भविष्य में विधायक बनाने का भी आश्वासन दिया था।
मराठा आरक्षण समर्थक मनोज जरांगे ने भी हटाया नामांकन
मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक, मनोज जरांगे ने भी अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का ऐलान किया। उन्होंने अपने समर्थकों से भी ऐसा ही करने की अपील की है, हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में किसी भी दल या प्रत्याशी का समर्थन नहीं करेंगे। जरांगे का नामांकन वापस लेना मराठा आंदोलन से जुड़े समर्थकों के लिए भी एक संकेत माना जा रहा है।
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महायुति और एमवीए में बागियों को लेकर बढ़ा तनाव
एमवीए और महायुति, दोनों खेमे इस बात से चिंतित हैं कि बागियों के कारण उनके वोट कट सकते हैं, जिससे चुनावी समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। दोनों ही गठबंधनों के नेता अपने-अपने बागियों को समझाने-बुझाने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं ताकि वे पार्टी के खिलाफ खड़े न हों।
बागियों का फैसला खेल सकता है अहम भूमिका
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, महाराष्ट्र चुनाव में बागियों का प्रभाव निर्णायक साबित हो सकता है। जिन सीटों पर बागियों ने नामांकन वापस लिया है, वहां के समीकरण बदल सकते हैं और इससे पार्टियों की स्थिति पर असर पड़ सकता है। भाजपा के लिए इन बागियों का नामांकन वापस लेना राहत का विषय है, लेकिन एमवीए और महायुति के अन्य बागी उम्मीदवार अभी भी चुनौती बने हुए हैं। महाराष्ट्र चुनाव में जैसे-जैसे मतदान का दिन नजदीक आता जा रहा है, सभी पार्टियां अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए अंतिम प्रयासों में जुट गई हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बागियों के इस चुनावी मैदान से बाहर होने का असर किन-किन सीटों पर देखने को मिलता है और क्या भाजपा का मास्टर स्ट्रोक वास्तव में उसके पक्ष में काम करेगा।