Mahakumbh 2025: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेला में लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। मौनी अमावस्या से दो दिन पहले सोमवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इस भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने 10 से ज्यादा पांटून पुलों को बंद करने का फैसला लिया। पुलों के बंद होने के कारण श्रद्धालुओं को असुविधा का सामना करना पड़ा। इस पर गुस्साए श्रद्धालुओं ने सेक्टर-20 में विरोध प्रदर्शन किया, जिसके दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच बहस भी हुई। उग्र भीड़ ने इस दौरान सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट (SDM) की गाड़ी में तोड़फोड़ भी की।
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भीड़ बढ़ने पर प्रशासन और पुलिस के इंतजाम हुए नाकाम

बताते चले कि, महाकुंभ मेले में सोमवार को श्रद्धालुओं की इतनी भारी भीड़ जमा हो गई कि प्रशासन के किए गए सारे इंतजाम विफल हो गए। बढ़ती भीड़ के कारण पुलिस को लोगों को दूसरी दिशा में भेजने की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ी, जिससे श्रद्धालुओं में आक्रोश फैल गया। पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ उग्र भीड़ ने प्रदर्शन किया और SDM की गाड़ी में तोड़फोड़ भी की। प्रशासन ने पहले से मौनी अमावस्या स्नान के लिए इंतजाम किए थे और जोनल प्लान तैयार किया था। लेकिन इस अचानक बढ़ी हुई भीड़ ने प्रशासन के प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए।
पुलिस और प्रशासन का जोनल प्लान फेल

महाकुंभ मेले के आयोजन के दौरान प्रशासन ने पहले से ही स्नान के लिए श्रद्धालुओं के मार्ग का निर्धारण किया था। पुलिस का यह प्लान था कि 29 जनवरी को स्नान के लिए श्रद्धालुओं को एक दिशा से संगम ले जाया जाएगा और स्नान के बाद उन्हें उसी दिशा से वापस लौटाया जाएगा। लेकिन सोमवार को दिनभर भीड़ बढ़ने लगी, जिसे देखते हुए प्रशासन और पुलिस ने आनन-फानन में अधिकतर पांटून पुलों से श्रद्धालुओं का आना-जाना रोक दिया। इससे श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा और उनकी असंतोषपूर्ण प्रतिक्रिया सामने आई।
केंद्रीय गृह मंत्री और अन्य नेताओं ने भी किया पवित्र स्नान
महाकुंभ मेला के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान किया। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बाबा रामदेव भी उनके साथ मौजूद थे। यह स्नान महाकुंभ के प्रमुख आयोजनों में से एक था और कई नेता एवं श्रद्धालु इस धार्मिक अवसर का हिस्सा बनने के लिए यहां पहुंचे थे।
प्रयागराज के महाकुंभ मेला में इस साल प्रशासन के इंतजामों को लेकर सवाल उठ रहे हैं, खासकर उस समय जब श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही थी। पांटून पुलों के बंद होने से श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ा, और इस कारण विरोध प्रदर्शन भी हुआ। प्रशासन को इस भीड़ को संभालने के लिए बेहतर योजना की जरूरत थी ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।
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