Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 प्रयागराज में जारी है और इस दौरान देश भर से लाखों श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान करने पहुंच रहे हैं। इस बीच, वायरल साध्वी हर्षा रिछारिया ने महाकुंभ छोड़ने का ऐलान किया है। हर्षा रिछारिया का नाम पहले तब चर्चा में आया जब उन्हें महाकुंभ के पहले अमृत स्नान में शामिल किया गया और महामंडलेश्वर के शाही रथ पर बैठाया गया था। इसके बाद कई धार्मिक नेताओं ने इसका विरोध किया था, जिसमें शाकुंभरी पीठाधीश्वर और काली सेना के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप का नाम भी शामिल है।
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धर्म से जुड़ने का मौका नहीं दिया गया

महाकुंभ छोड़ने के अपने फैसले को लेकर हर्षा रिछारिया ने भावुक होकर कहा कि वह सनातन धर्म को समझने और प्रचार करने के लिए यहां आई थीं, लेकिन कुछ लोगों ने उन पर सवाल उठाए, जिससे वह आहत हो गईं। हर्षा ने विशेष रूप से स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज पर निशाना साधते हुए कहा कि उनका धर्म से जुड़ने का प्रयास उन्हें नहीं स्वीकार किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने महाकुंभ में अपने स्थान को पाने के लिए कोई गलत काम नहीं किया था, बल्कि सिर्फ सनातन धर्म को समझने और उसे प्रचारित करने का उद्देश्य रखा था।
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हर्षा ने दी बद्दुआ: पाप लगेगा

हर्षा रिछारिया ने इस दौरान भावुक होकर कहा कि अब जो लोग उन्हें निशाना बना रहे हैं, उनका पाप जरूर लगेगा। उन्होंने स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज पर आरोप लगाते हुए कहा, “शर्म आनी चाहिए कि एक लड़की, जो धर्म से जुड़ने और सनातन संस्कृति को समझने आई थी, उन्हें पूरे महाकुंभ में रुकने का मौका नहीं दिया गया। महाकुंभ हमारे जीवन में एक बार आता है, और इसे उनसे छीन लिया गया। जो पुण्य का पता नहीं, लेकिन आनंद स्वरूप जी को पाप जरूर लगेगा।”
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हर्षा का दुख और निराशा

हर्षा रिछारिया ने यह भी कहा कि उन्हें धर्म से जुड़ने का पूरा मौका नहीं मिला। उनका इरादा था कि वह महाकुंभ में पूरी तरह से शामिल हों, लेकिन अब वह महाकुंभ में और नहीं रुक पाईं। उन्होंने बताया कि वह सिर्फ सनातन धर्म को समझने के लिए आई थीं, लेकिन उन्हें इस दौरान लगातार सवालों का सामना करना पड़ा और वह आहत हुईं।
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साध्वी नहीं हैं हर्षा रिछारिया

महाकुंभ में भगवा वस्त्र पहने हर्षा रिछारिया की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं थीं। हालांकि, बाद में उन्होंने स्पष्ट किया था कि वह साध्वी नहीं हैं और महाकुंभ में उनके शामिल होने का उद्देश्य केवल सनातन धर्म को समझने और उसकी जानकारी फैलाने का था।