उत्तर प्रदेश: इनकम टैक्स विभाग ने माफिया अतीक अहमद की 6 बेनामी संपत्तियों को जब्त किया है। बता दें कि माफिया ने ये बेनामी संपत्ती नौकरो के नाम ली थी। इन संपत्तियों का वर्तमान बाजार मूल्य 6.35 करोड़ रुपये है। आयकर विभाग की जांच में सामने आया है कि अतीक के गैंग के सदस्य मोहम्मद अशरफ उर्फ लल्ला ने अपने नौकर (चौकीदार) सूरज पाल के नाम से इन संपत्तियों को खरीदा था, जो कि बीपीएल कार्डधारक है। अशरफ ने सूरज पाल के नाम से बीते दस सालों में प्रयागराज और उसके आसपास के इलाकों में 100 बीघा जमीन खरीदी थी, जिसकी कीमत 80 करोड़ रुपये से अधिक है। जिसके बाद जांच शुरू हुई तो अवैध सम्पत्तियों का खुलासा हुआ।
आयकर विभाग ने संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई की
आयकर विभाग, लखनऊ की बेनामी यूनिट ने गहन जांच के बाद इन संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई की है। बता दें कि अतीक और उनके कुनबे के खिलाफ आयकर विभाग वर्ष 2019 से जांच कर रहा है। अब तक 1800 करोड़ से अधिक की संपत्तियों को जब्त किया जा चुका है, जांच में सामने आया कि अतीक के गैंग का सदस्य मोहम्मद अशरफ अपने नौकर सूरजपाल के नाम से करीब 100 बीघा जमीन खरीद चुका है। इसकी पुष्टि पांच वर्ष पूर्व इलाहाबाद के डीएम द्वारा कराई गई जांच में भी हो चुकी है।
अब तक 1800 करोड़ से अधिक की संपत्तियों को जब्त किया जा चुका है, जानकारी के मुताबिक अतीक ने 10 सालों में संगम नगरी के आसपास सूरज पाल के नाम पर 100 बीघा जमीन खरीदी थी। इन संपत्तियों का मार्केट रेट करीब 80 करोड़ रुपए बताया जा रहा है। जांच में यह भी बात सामने आई है कि अतीक और अशरफ की हत्या के बाद सूरजपाल ने प्रयागराज सदर तहसील के कटहुला गौसपुर गांव में 4 जमीनें 60 लाख रुपए में बेच दी थी।
Read More: देश भर में रोजगार मेला का आयोजन, पीएम देंगे 51,000 से ज्यादा युवाओं को नियुक्ति पत्र
सूरजपाल संपत्तियों की कर रहा था बिक्री
आयकर विभाग को जांच में पता चला है कि इन संपत्तियों को बेचकर सूरजपाल अतीक के परिवार की जरूरतों को पूरा कर रहा था। आयकर विभाग ने अतीक अहमद, उसके परिवार और गिरोह के सदस्यों के साथ सुरक्षा गार्ड के संबंधों का पता लगाया। इसके लिए यूपी पुलिस, आईजी स्टाम्प और आयकर डेटाबेस के रिकॉर्ड खंगाले गए।
आयकर विभाग ने सूरजपाल के आयकर रिटर्न का विश्लेषण किया तो बड़ा खुलासा हुआ। दस्तावेजों में बीपीएल कार्ड धारक सूरजपाल की आय और संपत्ति 2018-19 में करीब 40 लाख थी, जबकि 2022-23 में यह संपत्ति बढ़कर 6.16 करोड़ रुपए हो गई। सूरजपाल इन संपत्तियों की तेजी से निपटान और बिक्री कर रहा था। आयकर विभाग द्वारा सूरजपाल पर शिकंजा कसे जाने से अतीक की बेनामी संपत्तियों की बिक्री पर रोक लग गई है।
दरअसल, आयकर विभाग लखनऊ की टीम ने 2019 से ही अतीक की बेनामी संपत्तियों के खिलाफ अभियान चला रखा है। इसी क्रम में अब तक अतीक अहमद की कई संपत्तियों पर बुलडोजर चल चुका है। जबकि लूकरगंज इलाके में अतीक के कब्जे से छुड़ाई गई जमीन पर गरीबों के लिए 76 फ्लैट्स बनाए गए हैं। वहीं हवेलिया इलाके में अतीक की 400 वर्ग मीटर के प्लाट पर बच्चों के लिए पार्क और मेडिटेशन सेंटर बनाया जाएगा।
डीएम ने भेजी आयकर विभाग को रिपोर्ट
तत्कालीन डीएम ने इसकी रिपोर्ट आयकर विभाग को भेजी थी। साथ ही, इन संपत्तियों की रजिस्ट्री निरस्त कराने की कवायद भी शुरू की थी, हालांकि यह मामला अधर में लटक गया। वहीं आयकर विभाग की जांच जारी रही। इस बीच अशरफ को कई बार नोटिस देकर तलब किया गया, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। चार फरवरी 2020 को उसने आयकर विभाग को भेजे जवाब में कहा कि जेल में बंद होने की वजह से वह पेश होने में असमर्थ है। वहीं सूरज पाल ने भी आयकर विभाग के नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया।
आयकर ने खोला सूरज पाल का चिठ्ठा
आयकर विभाग ने सूरज पाल के बारे में गहनता से जांच की तो पता चला कि वर्ष 2018 से पहले भी अशरफ ने उसके नाम से कई संपत्तियों को खरीदा था। तमाम बेशकीमती संपत्तियों का मालिक होने के बावजूद सूरज पाल ने अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया। जांच में सामने आया कि उसने वर्ष 2018 तक 11 संपत्तियों को बेचा भी था। वर्ष 2018-19 में उसने 50.24 लाख रुपये की संपत्तियां बेची।
वही, वर्ष 2020-21 में 92.65 लाख की संपत्तियों को खरीदा, जबकि 2.29 करोड़ की संपत्तियों को बेचा था। इसी तरह वर्ष 2021-22 में 2.66 करोड़ की संपत्तियों को खरीदा, जबकि 99.30 लाख की संपत्तियों को बेचा। वर्ष 2022-23 में उसने 1.37 करोड़ रुपये की संपत्तियों को बेचा।
वहीं आयकर की जांच में सामने आया कि सूरज पाल ने वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 तक दाखिल किए रिटर्न में उसने रीयल एस्टेट और किराए से आमदनी दर्शाई। हालांकि इसमें दी गई जानकारियां अधूरी और संदिग्ध पाई गईं। इस अवधि में उसने अपनी आय 1.46 लाख रुपये से लेकर 14.70 लाख रुपये तक दर्शाई, जबकि उसका कुल कारोबार 6.16 करोड़ से अधिक पाया गया। इसमें से अधिकतर लेन-देन नगद में होने की पुष्टि होने से साफ हो गया कि सूरज पाल किसी अन्य की काली कमाई को जमीनों में खपा रहा है।