Lucknow custodial death case: लखनऊ के चिनहट थाने में पुलिस हिरासत में हुई स्कूल ड्रेस व्यापारी मोहित पांडे की मौत के बाद उनके परिजन सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) से मिले। मृतक की पत्नी सोनी, मां, और बच्चों के साथ सीएम से मुलाकात के दौरान परिवार ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और आर्थिक मदद के रूप में 50 लाख रुपये मुआवजा व परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग भी रखी। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि इस मामले में दोषी किसी भी पुलिसकर्मी को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने मृतक के परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी दी है।
17 दिन में कस्टडी डेथ का दूसरा मामला
लखनऊ में पुलिस हिरासत में 17 दिनों में दूसरी बार मौत होने का यह मामला सामने आया है। इस घटना की शिकायत अब नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (NHRC) में भी दर्ज की गई है। लखनऊ के वकील गजेंद्र सिंह यादव ने इस मामले में NHRC में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद NHRC अपने स्तर पर इस मामले में संज्ञान लेकर जांच करेगी।
इस मामले में चिनहट के इंस्पेक्टर अश्वनी चतुर्वेदी, मुख्य आरोपी आदेश और उसके चाचा समेत कुछ अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या समेत कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने चिनहट इंस्पेक्टर अश्वनी चतुर्वेदी को निलंबित कर दिया है। उनके स्थान पर गाजीपुर थाने में तैनात दरोगा भरत कुमार पाठक को नया थाना प्रभारी नियुक्त किया गया है।
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दो बार किया परिजनों ने प्रदर्शन
व्यापारी मोहित की मौत के बाद शनिवार को परिजनों ने अस्पताल पहुंचकर प्रदर्शन किया। लोहिया अस्पताल के सामने सड़क जाम कर प्रदर्शन करने वाले परिजनों को पुलिस ने किसी तरह शांत कराया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। रविवार दोपहर पोस्टमार्टम के बाद शव को मोहित के घर लाए जाने पर फिर से प्रदर्शन किया गया। इस दौरान विभिन्न थानों की पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची और विरोध कर रहे लोगों को हटाकर स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस की निगरानी में भैंसाकुंड श्मशान घाट में मृतक का अंतिम संस्कार किया गया।
सीएम योगी ने दिया आश्वासन: दोषियों पर सख्त कार्रवाई
सोमवार सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मोहित पांडे के परिजनों से मुलाकात की। सीएम ने परिजनों को हरसंभव सहायता का आश्वासन देते हुए कहा कि जो भी पुलिसकर्मी दोषी होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा और जांच के बाद सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने परिवार की भावनाओं को समझते हुए 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी दी।
पुलिस हिरासत में लगातार हो रही मौतों से बढ़ा दबाव
इस घटना ने लखनऊ पुलिस प्रशासन पर कई सवाल खड़े किए हैं, खासतौर पर जब पुलिस कस्टडी में 17 दिनों में यह दूसरी मौत हुई है। पुलिस हिरासत में हो रही मौतों के मामलों में लखनऊ पुलिस की जवाबदेही को लेकर भी अब गहन जांच की मांग उठ रही है। NHRC द्वारा जांच शुरू होने से पुलिस प्रशासन पर इस मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई का दबाव भी बढ़ता जा रहा है।
विपक्ष ने किया हमला
इस घटना पर विपक्षी दलों ने भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विपक्ष के कई नेताओं ने इस मामले को पुलिस प्रशासन की लापरवाही का उदाहरण बताते हुए सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। नेताओं का कहना है कि पुलिस कस्टडी में हो रही मौतें शासन की विफलता का संकेत हैं और पीड़ित परिवार को न्याय मिलना चाहिए। इस घटना के बाद से लखनऊ पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। परिजनों का कहना है कि यह मामला पुलिस की ज्यादती का है और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न होने पर पुलिस के प्रति जनता का भरोसा कमजोर हो सकता है।