Diwali : हिंदू धर्म का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार है। Diwali के दिन माता लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा को स्थापित करके पूजा -पाठ करते है, साथ ही दीपावली हर्ष, उल्लास, उत्सव एवं उमंग का त्योहार है। दिवाली के दिन हर घर में लोग खुशियां मनाते हैं। दीप जलाते हैं लेकिन किन्नर समाज एक एसा वर्ग है जिसे समाज अपनी खुशियों में शामिल नहीं करता।
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जबकि किन्नर सदैव लोगों को दुआएं देती है, खुशियां बांटती है, वहीं कहते है लोगो के लिए ये त्यौहार खुशियां लेकर आते है वही कुछ लोगो को ये त्यौहार अकेलापन महसूस करता है, तो चलिए आज आपको हम आपको बताएंगे की किन्नर समाज के लोग Diwali कैसे मानते है और उन्हें दिवाली के दिन देखना और दान देना कितना शुभ माना जाता है।
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किन्नर एक दूसरे के साथ मिलकर अपनी खुशियां मनाते ..
आपको बता दें कि जब तीज त्योहार आता है तो मां-पिता और भाई-बहन से दूरी बहुत ज्यादा खलती है। वहीं इस बात का दुख दर्द कोई किन्नर समाज के दिल से जाकर पूछे। क्योकिं वो एक ऐसे समाज में रेहतें जहां उनके परिवार का कोई नहीं होता है। वहीं किन्नर एक दूसरे के साथ मिलकर अपनी खुशियां मनाते है। किन्नर समुदाय की अपनी ही अलग दुनिया है। उनके तौर तरीके आम लोगों से बिल्कुल अलग होते हैं। लेकिन यह समुदाय हर फेस्टिवल को आम लोगों की तरह ही पूरे जोश और धुम धाम के साथ मनाता है। चाहे वो दशहर हो, दिवाली हो या फिर होली। दीपावली एक ऐसा पर्व है जिसे लोग अपने परिवार के साथ हर्ष और उल्लास के साथ मानते है।
किन्नर समाज दीपावली कैसे मनाते है..
वहीं अब आपके मन में यह सवाल उठता है कि आखिर किन्नर समाज दीपावली कैसे मनाते है। बता दें कि इस दिन इन लोगों को अपने परिवार कि बहुत याद आती है, इनका कहना है कि यह त्यौहार हर बार इन लोगो के कई पुराने घाव को तजाकर देता है। जहां त्योहारों में लोग अपने घरों में दीपावली के त्यौहार को हर्ष और उल्लास के साथ मानते है मिलकर मिठाई कहते वही किन्नर समुदाय के लोगो का कहना की उनके अपने उनका हालचाल तक नहीं लेते है, जो हर साल से इनके जख्मों को तजा करते है। लेकिन क्या आप जानते है कि एक आशीर्वाद किन्नर समाज के लोगो को भी मिला है, तो आपको बताते है पूरी कहानी।
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जानें कहानी..
आइए जानते हैं कि क्या त्रेतायुग में भगवान राम के समय में भी इस पृथ्वी पर मौजूद थे किन्नर? मान्यता है कि प्रभु श्रीराम जब 14 वर्ष का वनवास काटने के लिए अयोध्या छोड़ने लगे, तब उनकी प्रजा और किन्नर समुदाय भी उनके पीछे-पीछे चलने लगे थे। तब श्रीराम ने उन्हें वापस अयोध्या लौटने को कहा। लंका विजय के पश्चात जब श्रीराम 14 साल वापस अयोध्या लौटे तो उन्होंने देखा बाकी लोग तो चले गए थे, लेकिन किन्नर वहीं पर उनका इंतजार कर रहे थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर प्रभु श्रीराम ने किन्नरों को वरदान दिया कि उनका आशीर्वाद हमेशा फलित होगा। तब से बच्चे के जन्म और विवाह आदि मांगलिक कार्यों में वे लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। वहीं कभी भी भूलकर किन्नर समुदाय की बद्दुआ मोल लें क्योंकि ऐसा होने पर तमाम तरह की विपत्ति का सामना करना पड़ता है।