लोकसभा चुनाव 2024: आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी की नजरें बनी हुई हैं कि कौन कितना दांव मारेगा यह तो अभी तय नहीं किया जा सकता मगर चुनाव को लेकर जोरशोर की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बता दे कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अभी से सभी दलों ने तैयारी शुरू कर दी हैं और अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। वहीं अगर देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति की सबसे बड़ी अहमियत होती है, क्योंकि यूपी में बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक यानि की 80 सीटें हैं।
Read More: लोकसभा चुनाव : जानें उपेन्द्र सिंह रावत का जीवन और राजनीतिक सफर
कुशीनगर सीट का इतिहास
भारत के यूपी की 80 सीटो में कुशीनगर स्थित एक नगर है। यह एक ऐतिहासिक स्थल है जहाँ महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था। वर्तमान कुशीनगर की पहचान कुसावती और कुशीनारा से की जाती है। कुशीनारा मल्ल की राजधानी थी जो छठी शताब्दी ईसा पूर्व के सोलह महाजनपदों में से एक थी। तब से, यह मौर्य, शुंग, कुषाण, गुप्त, हर्ष और पाला राजवंशों के तत्कालीन साम्राज्यों का एक अभिन्न अंग बना रहा। बताते चले जिले के पांच विधानसभाओं को मिलाकर कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र बना है, जिसमें से 1 – पडरौना विधानसभा 2 – कसया विधानसभा 3 – खड्डा विधानसभा 4 – रामकोला विधानसभा 5 – हाटा विधानसभ हैं।
Read More: लोकसभा चुनाव: जानें बाराबंकी का इतिहास और राजनीतिक सफर
कुशीनगर एवं कसिया बाजार उत्तर प्रदेश के उत्तरी-पूर्वी सीमान्त इलाके में स्थित एक क़स्बा एवं ऐतिहासिक स्थल है। “कसिया बाजार” नाम कुशीनगर में बदल गया है और उसके बाद “कसिया बाजार” आधिकारिक तौर पर “कुशीनगर” नाम के साथ नगर पालिका बन गया है। कुशीनगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। वर्तमान समय में 17वीं लोक सभा के विजय दुबे (भाजपा) से हैं।
पहले कुशीनगर का एक शहर पडरौना जिला हुआ करता था बाद में मायावती जब उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी तो उन्होंने पडरौना से भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर को जनपद घोषित कर दिया। वर्तमान में कुशीनगर में तहसील हैं। 1- कुशीनगर 2- कसिया 3- तकुहिराज 4- कप्तानगंज 5- खड्डा 6- पडरौना । वर्ष 1971 में हुए लोकसभा के पांचवें आम चुनाव में देवरिया पूर्वी के बाद परिवर्तित हुए हाटा लोकसभा क्षेत्र का नाम तब्दील होकर पडरौना लोकसभा क्षेत्र हो गया। जिसमें चर्चित किसान नेता गेंदा सिंह अस्तित्वं में आए जो पडरौना लोकसभा से पहले सांसद चुने गए थे।
Read More: लोकसभा चुनाव : जानें संतोष गंगवार का राजनीतिक सफर
कुशीनगर का धार्मिक व ऐतिहासिक परिचय
यूपी के कुशीनगर का इतिहास बहुत ही पुराना और गौरवशाली है। मान्यता है कि प्राचीन काल में यह नगर मल्ल वंश की राजधानी तथा 16 महाजनपदों में एक था। चीनी यात्री ह्वेनसांग और फाहियान के यात्रा वृत्तातों में भी इस प्राचीन नगर का उल्लेख मिलता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार यह स्थान त्रेता युग में भी आबाद था और यहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पुत्र कुश की राजधानी थी जिसके चलते इसे ‘कुशावती’ नाम से भी जाना गया था। यहां कि यह भी मान्यता है कि यह राजधानी मल्ल राजाओं की है जो तब ‘कुशीनारा’ के नाम से जानी जाती थी। ईसापूर्व पांचवी शताब्दी के अन्त तक या छठी शताब्दी की शुरूआत में यहां भगवान बुद्ध का आगमन हुआ था। कुशीनगर में ही उन्होंने अपना अंतिम उपदेश देने के बाद महापरिनिर्वाण को प्राप्त किया था।
Read More: लोकसभा चुनाव: जानें बरेली का इतिहास और चुनावी सफर
पडरौना से कुशीनगर संसदीय क्षेत्र से अब तक हुए सांसद
1957 – काशी नाथ पांडे (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
1962 – काशी नाथ पांडे (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
1967 – काशी नाथ पांडे (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
1971 – गेंदा सिंह (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
1977 – राम धारी शास्त्री (भारतीय लोक दल)
1980 – कुँवर चन्द्र प्रताप नारायण सिंह (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई))
1984 – कुँवर चन्द्र प्रताप नारायण सिंह (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई))
1989 – बालेश्वर यादव (जनता दल)
1991 – राम नगीना मिश्रा (भारतीय जनता पार्टी)
1996 – राम नगीना मिश्रा (भारतीय जनता पार्टी)
1998 – राम नगीना मिश्रा (भारतीय जनता पार्टी)
1999 – राम नगीना मिश्रा (भारतीय जनता पार्टी)
2004 – बालेश्वर यादव (राष्ट्रीय लोकल पार्टी)
Read More: लोकसभा चुनाव : जानें श्याम सिंह यादव का राजनीतिक सफर
कुशीनगर संसद सदस्य
2009 तक: निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में नहीं था
2009 – रतनजीत प्रताप नारायण सिंह (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
2014 – राजेश पांडे (भारतीय जनता पार्टी)
2019 – विजय दुबे (भारतीय जनता पार्टी)
Read More: लोकसभा चुनाव: जानें जौनपुर जिले का चुनावी इतिहास
कुशीनगर का जातीय समीकरण
यूपी का जिला कुशीनगर में ब्राह्मण और मौर्य-कुशवाहा मतदाताओं की बहुलता बताई जाती है। इसके साथ ही मुस्लिम, यादव और दलित अच्छी खासी तादाद में हैं। वहीं अगर जातिगत आंकड़ें देखे जाएं तो यहां अनुसूचित जाति लगभग 15 %, मुस्लिम लगभग 14 %, कुशवाहा (कुर्मी) लगभग 13 %, ब्राम्हण लगभग 11 %, सैंथवार लगभग 12 %, वैश्य लगभग 10 %, यादव लगभग 8 %, भूमिहार लगभग 4 %, अन्य – 13 % हैं।
Read More: लोकसभा चुनाव: जानें ड्रीमगर्ल से हेमा मालिनी के सांसद बनने तक का सफर
जिले का प्रमुख आकर्षण
- निर्वाण स्तूप
- महानिर्वाण मंदिर
- माथाकुंवर मंदिर
- रामाभर स्तूप
- आधुनिक स्तूप
- बौद्ध संग्रहालय
- मां भवानी देवी मंदिर
Read More: लोकसभा चुनाव: जानें मथुरा नगरी का इतिहास और राजनीतिक सफर
देवरिया से हाटा और फिर कैसे बना पडरौना लोकसभा क्षेत्र
साल 1971 में हुए लोकसभा के पांचवें आम चुनाव में देवरिया पूर्वी के बाद परिवर्तित हुए हाटा लोकसभा क्षेत्र का नाम तब्दील होकर पडरौना लोकसभा क्षेत्र हो गया। चर्चित किसान नेता गेंदा सिंह अस्तित्व में आए पडरौना लोकसभा से पहले सांसद चुने गए थे। वहीं लगातार तीन बार जीत का परचम लहराने वाले काशीनाथ पांडेय को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था। काशीनाथ कांग्रेस अर्स प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में थे।
Read More: लोकसभा चुनाव : जानें बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी का राजनीतिक सफर
हाटा से सिर्फ काशीनाथ ही बन सके सांसद
मौजूदा कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र कुशीनगर आजादी के बाद पहले आम चुनाव में देवरिया पूर्वी, दूसरे, तीसरे और चौथे चुनाव में हाटा लोकसभा के नाम से था। पांचवें आम चुनाव में इसका नाम पडरौना लोकसभा के रूप में तब्दील हो गया था। लोकसभा चुनाव में बीकेडी ने पडरौना जगदीशगढ स्टेट के सीपीएन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था। वर्तमान में स्थित कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र के पहले से लेकर चौथे आम चुनाव में रोचक पहलू भी रहा है।
Read More: लोकसभा चुनाव: जानें गाजी-उद-दीन परिसीमन के बाद कैसे बना गाजियाबाद
पहले आम चुनाव में ही यहां तब देवरिया पूर्वी लोकसभा क्षेत्र से लहर के बाद भी कांग्रेस चुनाव हार गयी थी। दूसरे से चौथे आम चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र की पहचान हाटा लोकसभा के रूप में थी। कांग्रेस के काशीनाथ पांडेय ने इस सीट पर लगातार 3 बार जीत दर्ज की थी। पांचवें आम चुनाव में काशीनाथ पांडेय हार गए थे और तब इस लोकसभा क्षेत्र के नाम हाटा से पडरौना में तब्दील हो गया था। इस तरह हाटा लोकसभा क्षेत्र काशीनाथ पांडेय के नाम ही रहा।
Read More: लोकसभा चुनाव : जानें बस्ती जिले का चुनावी इतिहास
जानें पडरौना लोकसभा सीट की अनसुनी गाथा
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को पडरौना में उनके ही मंच पर एक नेता ने चुनौती दी थी। सपा पडरौना लोकसभा सीट (अब कुशीनगर) से टिकट की घोषणा न होने पर एक दावेदार के लिए लोगों ने मुलायम सिंह के सामने ही निर्दल चुनाव लड़ाने का ऐलान कर दिया। अपने प्रत्याशी के पक्ष के नेताजी के मंच के सामने ही गमछा बिछाकर चंदा बटोरने लगे।
Read More: लोकसभा चुनाव : पूर्वांचल में कांग्रेस का बड़ा दांव साबित होंगे शमसाद अहमद
यह बात वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव की है। सपा के तत्कालीन मुखिया मुलायम सिंह यादव पडरौना में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे। इसी सभा में पडरौना लोकसभा क्षेत्र से सपा उम्मीदवार के नाम की घोषणा होने वाली थी। जिले के कद्दावर, मुलायम के करीब माने जाने वाले नेता बालेश्वर यादव को पूरा यकीन था कि सपा मुखिया उनको ही टिकट देंगे, लेकिन बाद में मंच पर पहुंचकर मुलायम सिंह ने किसी अन्य को प्रत्याशी घोषित कर दिया। बस, इसी के बाद हंगामा शुरू हो गया। लोग मुलायम सिंह यादव के सामने ही अपने बालेश्वर यादव के पक्ष में नारेबाजी करने लगे।
Read More: लोकसभा चुनाव 2024: जानें विजय कुमार सिंह का भारतीय सेना से लेकर राजनीतिक तक का सफर
तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के करीबियों में बालेश्वर यादव का नाम शुमार रहा है। वर्ष 2004 में वह लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके थे। उनको और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि नेताजी अपनी सभा में उनके नाम की घोषणा करेंगे। लेकिन सपा मुखिया ने किसी अन्य को टिकट देकर इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। उधर बालेश्वर भी अपनी जिद पर अड़ गए। स्थानीय जनता ने उनको भरपूर समर्थन दिया। लोगों ने उनको सिक्कों से तौलकर चुनाव लड़ने के लिए चंदा दिया। जनता के आशीर्वाद से बालेश्वर यादव निर्दल ही लोकसभा चुनाव जीत गए।