लोकसभा चुनाव: आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी की नजरें बनी हुई हैं कि कौन कितना दांव मारेगा यह तो अभी तय नहीं किया जा सकता मगर चुनाव को लेकर जोरशोर की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बता दे कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अभी से सभी दलों ने तैयारी शुरू कर दी हैं और अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। वहीं अगर देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति की सबसे बड़ी अहमियत होती है, क्योंकि यूपी में बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक यानि की 80 सीटें हैं।
आपको बता दे कि वर्तमान में सदन में 543 सीटें हैं। जो अधिकतम 543 निर्वाचित सदस्यों के चुनाव से बनती हैं। मगर जब यूपी की बात करेंगे तो यूपी में 80 सीटें हैं।
Read More: लोकसभा चुनाव 2024: जानें सत्यदेव पचौरी का राजनीतिक शुरुआत
घोसी का पौणारिक इतिहास
यूपी की 80 सीटों में एक सीट घोसी भी आती हैं वहीं अब घोसी उपचुनाव को लेकर मुद्दा काफी गर्म भी हुआ हैं। ऐसे अगर घोसी के इतिहास की बात करी जाएं तो घोसी मऊ जिले का एक शहर है जिसकी स्थापना 1535 के आस-पास राजा नहूओस ने की थी। वह पहले कस्बा खास में रहते थे जहाँ उन्होने कोर्ट ‘कोट’ में अपना पैलेस बनाया था जहॉ ए.एस. आई. को उनके शासन के पुरातात्विक सबूत मिलते है।
Read More: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर जानें यह जानकारी…
वहीं आज भी मान्यता हैं कि इस इलाके में राजा घोस का टीला विद्यमान है जो नहुष, पुरवा के पुत्र आयु का पुत्र था। बतादे कि वन में वृत्र तपस्या कर रहा था। अवसर पाकर इन्द्र ने अपने शक्तिशाली वज्र वृत्रासुर के मस्तक पर दे मारा। इससे वृत्र का सिर कटकर अलग जा पड़ा। सिर कटते ही इन्द्र सोचने लगे, कि मैंने एक निरपराध व्यक्ति की हत्या करके भारी पाप किया है। वृत्तासुर का वध करने के कारण इन्द्र को ब्रह्महत्या का दोष लगा और वे इस महादोष के कारण स्वर्ग छोड़कर किसी अज्ञात स्थान में जा छुपे।
इन्द्रासन ख़ाली न रहने पाये इसलिये देवताओं ने मिलकर पृथ्वी के धर्मात्मा राजा नहुष को इन्द्र के पद पर आसीन कर दिया। वृत्रासुर के वध के बाद ब्रह्महत्या का प्रायश्चित्त करने के लिए जब इंद्र एक हजार वर्ष तक तप करते रह गए तो नहुष को स्वर्ग का राजा बनाया गया। नहुष ने जब ऐश्वर्य के मद में इंद्राणी का अपमान किया जिससे इंद्राणी ने उसे अजगर हो जाने का श्राप दे दिया।
Read More: लोकसभा चुनाव 2024: जानें कानपुर का चुनावी इतिहास
इन्द्र पर लगे ब्रह्महत्या के दोष के निवारणार्थ के लिए देव-गुरु बृहस्पति ने उनसे अश्वमेघ यज्ञ करवाया। उस यज्ञ से इन्द्र पर लगा ब्रह्महत्या का दोष चार भागों में बँट गया:
- एक भाग वृक्ष को दिया गया जिसने गोंद का रूप धारण कर लिया।
- दूसरे भाग को नदियों को दिया गया जिसने फेन का रूप धारण कर लिया।
- तीसरे भाग को पृथ्वी को दिया गया जिसने पर्वतों का रूप धारण कर लिया।
- चौथा भाग स्त्रियों को प्राप्त हुआ जिससे वे रजस्वला होने लगीं।
इस प्रकार इन्द्र का ब्रह्महत्या के दोष का निवारण हो जाने पर वे पुनः शक्ति सम्पन्न हो गये किन्तु इन्द्रासन पर नहुष के होने के कारण उनकी पूर्ण शक्ति वापस न मिल पाई। इसलिये उन्होंने अपनी पत्नी शची से कहा कि तुम नहुष को आज रात में मिलने का संकेत दे दो किन्तु यह कहना कि वह तुमसे मिलने के लिये सप्तर्षियों की पालकी पर बैठ कर आये। शची के संकेत के अनुसार रात्रि में नहुष सप्तर्षियों की पालकी पर बैठ कर शची से मिलने के लिये जाने लगा। सप्तर्षियों को धीरे-धीरे चलते देख कर उसने शीघ्र चलो कह कर अगस्त्य मुनि को एक लात मारी। इस पर अगस्त्य मुनि ने क्रोधित होकर उसे शाप दे दिया, “मूर्ख! तेरा धर्म नष्ट हो और तू दस हज़ार वर्षों तक सर्पयोनि में पड़ा रहे।” ऋषि के शाप देते ही नहुष सर्प बन कर पृथ्वी पर गिर पड़ा और देवराज इन्द्र को उनका इन्द्रासन पुनः प्राप्त हो गया।
Read More: लोकसभा चुनाव 2024: जानें लखनऊ के सांसद का राजनीतिक सफर
जानें घोसी सीट का जातीय समीकरण?
इस सीट पर साढ़े चार लाख से ज्यादा मतदाता हैं। इनमें सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिम और दलित मतदाताओं की है। 90 हजार से अधिक मुस्लिम मतदाता जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। वहीं, करीब 70 हजार से ज्यादा दलित मतदाता भी निर्णायक भूमिका में हैं। वहीं, करीब 60 हजार यादव तो 52 हजार से ज्यादा राजभर मतदाता भी यहां अहम भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही घोसी सीट पर क्षत्रिय, निषाद, मौर्य, भूमिहार मतदाताओं की संख्या भी 10-10 हजार से ज्यादा है।
घोसी सीट का लोकसभा इतिहास
1957 : उमराव सिंह- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1962, 1967: जयबहादुर सिंह- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
1968, 1971: झारखंडे राय- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
1977: शिवराम राय- जनता पार्टी
1980: झारखंडे राय- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
1984: राजकुमार राय- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1989, 1991, 1996, 1998: कल्पनाथ राय- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और स्वतंत्र राजनीतिज्ञ, समता पार्टी से रहें।
1999- बाल कृष्ण चौहान- बहुजन समाज पार्टी
2004- चंद्रदेव प्रसाद राजभर- समाजवादी पार्टी
2009- दारा सिंह चौहान- बहुजन समाज पार्टी
2014- हरिनारायण राजभर- भारतीय जनता पार्टी
2019- अतुल राय- बहुजन समाज पार्टी
Read More: लोकसभा चुनाव 2024: जानें मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर का राजनीति सफर
सांसद अतुल राय- यूपी लोकसभा सीट घोसी के सांसद अतुल राय 2015 में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए। उन्होंने 2017 में ज़मानिया (विधानसभा क्षेत्र) से उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ा और 67,559 वोट हासिल किए। अपने पहले चुनाव में वह 9,264 वोटों से करीबी मुकाबले में हार गये। जिसके बाद फिर से 2019 के आम लोक सभा चुनाव में अतुल राय ने घोसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से संसद का चुनाव लड़ा और 122000+ वोटों के अंतर से चुनाव में जीत हासिल की।