फरीदाबाद संवाददाता- MANOJ
फरीदाबाद के गांव मच्छगर गांव में रहने वाले राकेश धनकड़ ने एयरटेल आइडिया एयरटेल फिलिप्स जैसी मल्टीनेशनल टेलीकॉम कंपनियों में नौकरी करने के बाद नौकरी छोड़कर जैविक विधि से खेती अपनाई है। वे जैविक विधि से सब्जी एवं अन्य फसलों को उगाकर हर लाखों रुपये का मुनाफा ले रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने आसपास के कई गांवों के किसानों को जैविक विधि से खेती का प्रशिक्षण दिया है। उनका कहना है कि अगर वैज्ञानिक तरीके से खेती की जाए तो यह फायदे का सौदा है।
जैविक ऑर्गेनिक खेती की विरासत…
फरीदाबाद के गांव मच्छगर गांव के रहने वाले राकेश धनखड़ की गिनती आज जिले के प्रगतिशील किसानों में की जाती है।राकेश धनकड़ पिछले 15 सालों से जैविक खेती कर रहे हैं। उनसे पहले उनके पिताजी धर्मपाल धनकड भी पारंपरिक खेती-बाड़ी बड़ी करते थे जिन्होंने बाद में जैविक खेती को अपनाया और अब उसी को ही उनके बेटे राकेश धनखड़ उस जैविक ऑर्गेनिक खेती की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
एयरटेल आइडिया फिलिप्स…
बता दे कि राकेश धनकड़ MBA ग्रेजुएट है। राकेश धनकड़ ने एयरटेल आइडिया फिलिप्स जैसे नामी-गिरामी टेलीकॉम कंपनियों के साथ नौकरी करते हुए नौकरी छोड़ अपने पिताजी के द्वारा की जा रही ऑर्गेनिक खेती को अपनाया और अब पूरे समय अलग-अलग मौसम की फसलें उगाते हैं।
राकेश धनकड़ बताते हैं कि देश की बड़ी-बड़ी नामी कंपनियों में 15 साल की नौकरी की चकाचौंध के दौरान उन्हें कहीं ना कहीं उनके जमीन की मिट्टी की वह खुशबू की कमी खलती थी जिसमें वह खेलकर पले बढ़े हुए जिसके कारण उन्होंने नौकरी छोड़ खेती-बाड़ी को अपनाया और व्यवसायिक तौर पर अब अलग-अलग मौसम में फसल उगाते हुए सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर खेती-बाड़ी कर रहे हैं।
ऑर्गेनिक फार्मिंग में लागत बहुत कम…
राकेश ने बताया कि ऑर्गेनिक फार्मिंग में लागत बहुत कम आती है। जबकि उत्पादों की कीमत अधिक मिलती है। इसलिए किसान सामान्य खेती के मुकाबले केमिकल फ्री फार्मिंग में ज्यादा कमाई कर लेते हैं। राकेश बताते हैं कि मंडी में कारोबारी उनकी सब्जियों का इंतजार करते हैं। मंडी में पहुंचते ही सब्जियां हाथों-हाथ अच्छे दाम में बिक जाती हैं।
ग्रेजुएशन करने के बाद फैशन का कोर्स…
राकेश धनकड़ के साथ उनकी पत्नी मंजू धनकड भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खेती-बाड़ी में पूरा सहयोग करती हैं ।यहां विशेष तौर पर बता दें कि उनकी पत्नी मंजू धनखड़ ने ग्रेजुएशन करने के बाद फैशन का कोर्स भी किया और उसके बाद नौकरी छोड़कर अब अपने पति के साथ खेती-बाड़ी में सहयोग करती हैं । मंजू धनकड बताती हैं। कि खेती-बाड़ी करने से घर के आर्थिक हालात तो सुधरे हैं ।ही साथ ही परिवार भी एकजुट हुआ है। क्योंकि खेती करने के लिए सभी को कोई ना कोई काम खेत में करना पड़ता है जिससे एकजुटता आती है।
अलग-अलग योजनाओं से उन्हें काफी फायदा…
वही राकेश धनकड़ ने बताया कि हरियाणा सरकार की अलग-अलग योजनाओं से उन्हें काफी फायदा मिला है वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों की तरफ से भी समय-समय पर किसानों को सरकार की योजनाओं के लिए जागरूक किया जाता है और हरियाणा सरकार के पोर्टल के माध्यम से भी कृषि के लिए जानकारियां प्राप्त होती हैं वह सरकार का योजनाओं को चलाने के लिए धन्यवाद करते हैं।