Land For Job Case: रेलवे में नौकरी के बदले जमीन देने के विवाद में लालू प्रसाद यादव की परेशानियाँ बढ़ती जा रही हैं। गृह मंत्रालय ने सीबीआई को इस मामले में लालू यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। यह निर्णय सीबीआई की चार्जशीट के आधार पर लिया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जांच एजेंसी के पास आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।
राऊज एवेन्यू कोर्ट का निर्देश
दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले में तेजी से आगे बढ़ने के निर्देश दिए हैं। जानकारी के अनुसार, कोर्ट ने लालू यादव, उनके दोनों बेटों तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव के अलावा छह अन्य आरोपियों को समन जारी किया है। इन सभी को 7 अक्टूबर को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया है। यह पहला मौका है जब तेज प्रताप यादव को इस मामले में तलब किया गया है, जिनकी संलिप्तता अब साफ हो चुकी है।
सीबीआई कर रही जांच
लालू यादव पर आरोप है कि उन्होंने 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए रेलवे की नौकरियों के बदले जमीन ली। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है, जबकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अपनी एंट्री की है। ईडी ने इस मामले में 6 अगस्त को एक पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें 11 आरोपियों का नाम शामिल था, जिनमें से चार की मृत्यु हो चुकी है।
आरोपितों के खिलाफ भी होगा मुकदमा
सीबीआई ने अन्य आरोपितों के खिलाफ भी मुकदमे की मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय से संपर्क किया है। इस मामले में 30 से अधिक अन्य आरोपित हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए पर्याप्त सामग्री मौजूद है। अदालत ने लालू प्रसाद यादव के अलावा तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, अखिलेश्वर सिंह, हजारी प्रसाद राय, संजय राय, धर्मेंद्र सिंह और किरण देवी को आरोपी बनाया है।
आरजेडी की छवि पर पड़ता नकारात्मक प्रभाव
इस मामले में राजनीतिक मामले ने तूल पकड़ लिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार कोर्ट से क्या परिणाम निकलता है। लालू यादव, जो पहले ही कई बार विवादों में रहे हैं, इस बार फिर से मुश्किलों में फंसते नजर आ रहे हैं। उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पर इस मामले का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, खासकर जब आगामी चुनावों का मौसम नजदीक है। अब यह भी देखना होगा कि क्या लालू यादव अपने राजनीतिक जीवन में फिर से उभरने में सफल हो पाते हैं या नहीं। राजनीतिक क्षेत्र में इस तरह के मामले अक्सर सुर्खियाँ बटोरते हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार क्या नया मोड़ आता है।