Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता (Kolkata) के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (RG Kar Medical College and Hospital) में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी की घटना पर कोलकाता हाईकोर्ट (Kolkata High Court) में आज सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति एच. भट्टाचार्य की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की. इस दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने पिछले आदेश के अनुसार अपनी रिपोर्ट तैयार की है. हालांकि, कोर्ट ने इस रिपोर्ट को प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं समझी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले का संज्ञान ले लिया है.
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अस्पताल की सुरक्षा CISF के हवाले
बताते चले कि सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अस्पताल की सुरक्षा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के हवाले कर दी गई है. कोर्ट ने इस कदम को ध्यान में रखते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा इस मामले के सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है, जिसमें सुरक्षा भी शामिल है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी.
पीड़िता की पहचान उजागर होने पर हाईकोर्ट की चिंता
आपको बता दे कि हाईकोर्ट ने इस मामले में पीड़िता की पहचान उजागर होने पर गंभीर चिंता जताई है. सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, “हमने अपने पिछले आदेश में तस्वीरें अपलोड न करने का अनुरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देशों के अनुसार, पीड़िता की पहचान उजागर न करने का एक स्पष्ट निर्देश है.” याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि दुर्भाग्य से, पीड़िता के दोस्तों के पास पुरानी तस्वीरें हैं और वे इन्हीं को प्रसारित कर रहे हैं, जिससे पीड़िता की पहचान उजागर हो रही है.
मीडिया से पीड़िता की पहचान न उजागर करने का अनुरोध
कोर्ट ने आगे कहा कि उन्होंने पीड़िता के माता-पिता का नाम भी छिपा दिया है, लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि इसका जिक्र नहीं किया गया था. वकील ने सुझाव दिया कि अदालत सभी मीडियाकर्मियों से अनुरोध कर सकती है कि वे स्वयं इस बात का प्रसारण करें कि पीड़िता और उसके परिवार की पहचान उजागर न की जाए. इस पर कोर्ट ने सहमति जताई और कहा कि वह ऐसा ही करेंगे, ताकि पीड़िता और उसके परिवार की गोपनीयता बनी रहे.
22 अगस्त तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश
कोर्ट ने सुनवाई के अंत में कहा कि न्यायिक अनुशासन के लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार करना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा सभी मुद्दों पर संज्ञान लिया जा चुका है और CISF की नियुक्ति पर भी ध्यान दिया गया है. CBI और राज्य सरकार को 22 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ ही, कोर्ट ने मीडियाकर्मियों से पीड़िता और उसके परिवार की पहचान उजागर न करने का अनुरोध किया, ताकि उनकी गोपनीयता सुरक्षित रह सके.
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