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Health: कुछ बच्चों के दांत जल्दी निकल आते हैं तो कुछ बच्चों के दांत आने में काफी देरी हो जाती है। ऐसे में आपको डॉक्टर से जानना चाहिए कि बच्चो के दांत निकलने की सही उम्र क्या है? वैसे आपको जानकारी के लिए बता दें कि पहला दांत आमतौर पर छह महीने की उम्र में निकलता है। हालांकि, कुछ शिशुओं में जन्म के समय ही दांत निकला हुआ होता है और कुछ का पहले जन्मदिन तक कोई भी दांत नहीं आया होता।
इसके लिए 6 महीने के होने के बाद शिशुओं को ठोस आहार जैसे अनाज देना शुरू कर देना चाहिए और इसके बाद से बच्चे को खाना चबाने के लिए दांतों की जरूरत पड़ती है। बच्चे के विकास में दांत आना भी शामिल है लेकिन कुछ बच्चों के दूध के दांत देर से आते हैं। कई कारणों से बच्चों के दांत देर से आते हैं। अगर कोई बच्चा है तो पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि किस उम्र में शिशु के दांत आते हैं और यह भी पता करना चाहिए कि क्यों बच्चे के दांत देरी से निकल रहे हैं।
कब निकलते हैं बच्चों के दांत…
कुछ बच्चों के दाँत जन्म के समय ही होते हैं लेकिन कुछ बच्चों जब 4 महीने के हो जाते है तब उनके पहले दांत आना शुरू हो जाते हैं और कुछ बच्चों के 12 महीने के होने के बाद दांत निकलते हैं। अधिकांश बच्चों के दांत 6 महीने के होने तक निकलना शुरू हो जाते हैं।
आखिर क्या कारण है कि बच्चों के दाँत देर से निकलते है…
अगर इस उम्र में बच्चे के दांत न निकलें तो इसे देरी से दांत आना कहा जाता है। जब बच्चे के दांत देर से निकलते है तो उससे पहले ही बच्चो मे कुछ लक्षण दिखाई देना शुरू हो जाते है और वहीं जब दांत देरी से आएं तो भी कुछ लक्षण दिखने लगते हैं।
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देर से दांत निकलना चिंता का विषय है…
अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन के मुताबित कुछ बच्चें के दांत चार महीने के होने से पहले ही निकल आते हैं जबकि कुछ बच्चों के दांत दस महीने के होने के बाद निकलते हैं। आमतौर पर देरी से दांत आने पर चिंता करने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि हर बच्चे का विकास अलग गति से होता है और दांत निकलने पर भी यह बात लागू होती है। शिशु के दांत 4 से 12 महीने की उम्र में कभी भी निकल सकते हैं इसलिए आपको चिंता करने की आवश्यकता नही है।
क्यों देरी से आते हैं दांत…
देर से दाँत निकलने के कई कारण होते है अगर मां या पिता को देर से दांत निकलने की शिकायत रही है, तो बच्चे को भी यह समस्या हो सकती है। खराब पोषण या पोषण की कमी के कारण भी दांत निकलना प्रभावित हो सकता है। कैल्शियम और विटामिन डी, सी, बी और ए की कमी का असर भी दांतों पर पड़ता है।
शिशु में थायराइड विकारों जैसे कि हाइपोथाययराइडिज्म के कारण से भी दांत देर से आ सकते हैं। मोटे मसूड़े होने पर फाइब्रोसिस हो सकता है जो दांतो को निकलने से रोकता है। ग्रोथ हार्मोन के स्राव में परेशानी होने का प्रभाव भी बच्चे के दांतों पर पड़ता है।
आनुवंशिक रोग…
जेनेटिक विकारों जैसे कि एमेलोजेनेसिस इंपरफेक्ट ए और डेंटिनोजेनेसिस इंपरफेक्ट ए का असर बच्चे के दांतों और मसूड़ों पर पड़ सकता है। इससे बच्चे के दांत देरी से आ सकते हैं। प्रीमैच्योर बेबी के दांत भी देर से आते हैं।