लोकसभा चुनाव 2024: आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी की नजरें बनी हुई हैं कि कौन कितना दांव मारेगा यह तो अभी तय नहीं किया जा सकता मगर चुनाव को लेकर जोरशोर की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बता दे कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अभी से सभी दलों ने तैयारी शुरू कर दी हैं और अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। वहीं अगर देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति की सबसे बड़ी अहमियत होती है, क्योंकि यूपी में बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक यानि की 80 सीटें हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 की जीती सीट
यूपी की 80 सीटों पर हुए चुनाव में लोकसभा चुनाव 2019 में एनडीए ने जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में एनडीए में बीजेपी और अपना दल (एस) एक साथ मिलकर लड़े थे और एनडीए का 51.19 प्रतिशत वोट शेयर रहा था। जिसमें बीजेपी के खाते में 49.98 प्रतिशत और अपना दल (एस) को 1.21 प्रतिशत वोट शेयर मिला था। वहीं महगठबंधन (बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल) को 39.23 प्रतिशत वोट शेयर मिला था। जिसमें बसपा को 19.43 प्रतिशत, सपा को 18.11 प्रतिशत और रालोद को 1.69 प्रतिशत वोट मिला था। इसके अलावा कांग्रेस को इस चुनाव में 6.36 वोट शेयर मिला था।
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लोकतंत्र में राजनीतिक पार्टियों की अहम भूमिका
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में राजनीतिक पार्टियों की अहम भूमिका है। इन राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि चुनाव के माध्यम से सांसद के तौर पर चुनकर, देश की संसद में उन इलाके के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हर एक आम चुनाव के बाद 543 सांसद चुनकर लोकसभा तक पहुंचते हैं।
आपको बता दे कि लोकसभा, संवैधानिक रूप से लोगों का सदन और भारत की द्विसदनीय संसद का निचला सदन है, जिसमें उच्च सदन राज्य सभा है। लोकसभा के सदस्य अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक सर्वजनीन मताधिकार और एक सरल बहुमत प्रणाली द्वारा चुने जाते हैं, और वे पांच साल तक या जब तक राष्ट्रपति केंद्रीय मंत्री परिषद् की सलाह पर सदन को भंग नहीं कर देते, तब तक वह अपनी सीटों पर बने रहते हैं। बताते चले कि सदन संसद भवन, नई दिल्ली के लोकसभा कक्ष में मिलता है।
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भारत के संविधान द्वारा आवंटित सदन की अधिकतम सदस्यता 552 है। मगर 1950 में, यह 500 थी और वर्तमान में सदन में 543 सीटें हैं। जो अधिकतम 543 निर्वाचित सदस्यों के चुनाव से बनती हैं।
जानें लोक सभा का कार्यकाल
यदि समय से पहले भंग ना किया जाये तो, लोक सभा का कार्यकाल अपनी पहली बैठक से लेकर अगले पाँच वर्ष तक होता है उसके बाद यह स्वत: भंग हो जाती है। लोक सभा के कार्यकाल के दौरान यदि आपातकाल की घोषणा की जाती है तो संसद को इसका कार्यकाल कानून के द्वारा एक समय में अधिकतम एक वर्ष तक बढ़ाने का अधिकार है, जबकि आपातकाल की घोषणा समाप्त होने की स्थिति में इसे किसी भी परिस्थिति में 6 महीने से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता।
जानें लोकसभा की विशेष शक्तियाँ
- मंत्री परिषद केवल लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है।
- अविश्वास प्रस्ताव सरकार के विरूद्ध केवल यहीं लाया जा सकता है।
- धन बिल पारित करने में यह निर्णायक सदन है।
- राष्ट्रीय आपातकाल को जारी रखने वाला प्रस्ताव केवल लोकसभा मे लाया और पास किया जायेगा।